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नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार नवंबर को सुनवाई करेगा।
यह कानून ‘‘ऑनलाइन मनी गेम्स’’ पर प्रतिबंध लगाता है और उनसे संबंधित बैंकिंग सेवाओं तथा विज्ञापनों पर रोक लगाता है।
उच्च न्यायालयों में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो चुके वरिष्ठ अधिवक्ता सी. आर्यमन सुंदरम और अरविंद पी. दातार ने न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष ये मुद्दा उठाया, जिस पर पीठ ने चार नवंबर को सुनवाई की बात कही।
सुंदरम ने दलील दी कि इन मामलों को पहले प्रधान न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने संकेत दिया था कि इसी पीठ द्वारा मामले को सूचीबद्ध करना उचित होगा।
सुंदरम ने कहा कि इस मुद्दे का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया गया था और पीठ ने कहा कि यह उचित होगा कि वही पीठ (न्यायमूर्ति पारदीवाला की अध्यक्षता वाली) चार नवंबर को निर्धारित समय पर मामले की सुनवाई करे।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, ‘‘तब हम इस पर सुनवाई करेंगे।’’
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन अधिनियम-2025, वास्तविक धन वाले ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला केंद्रीय कानून है।
इस कानून को दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि यह अधिनियम न्यायिक रूप से मान्यता प्राप्त कौशल-आधारित खेलों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन है, जो किसी भी पेशे को अपनाने या वैध व्यापार करने के अधिकार की गारंटी देता है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक अन्य संबंधित याचिका पर नोटिस भी जारी किया था।
आठ सितंबर को, शीर्ष अदालत ने परस्पर विरोधी फैसलों से बचने के लिए ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन उच्च न्यायालयों से शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका को अनुमति दे दी थी।
इसने दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।(भाषा)


