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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर नई श्रम शक्ति नीति के ज़रिए मनुस्मृति के सिद्धांत लागू करने के आरोप लगाए हैं.
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार का मनुस्मृति के सिद्धांतों की ओर लौटना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की परंपरा के अनुरूप है, जिसने संविधान अपनाए जाने के तुरंत बाद ही उसकी आलोचना की थी.
जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “मोदी सरकार द्वारा इस महीने की शुरुआत में जनता की प्रतिक्रिया के लिए जारी श्रम शक्ति नीति 2025 के मसौदे में स्पष्ट रूप से दावा किया गया है कि मनुस्मृति ‘आधुनिक श्रम कानूनों के उदय से सदियों पहले, भारत की सभ्यतागत संरचना में श्रम शासन का नैतिक आधार स्थापित करती है'.”
उन्होंने लिखा, “मनुस्मृति के सिद्धांतों की ओर यह वापसी आरएसएस की सबसे प्रिय परंपराओं के अनुरूप है. आख़िरकार, संविधान के अपनाए जाने के तुरंत बाद आरएसएस ने इस आधार पर संविधान पर हमला किया था कि भारतीय संविधान मनुस्मृति में निहित मनु के आदर्शों और मूल्यों से प्रेरणा नहीं लेता है.”
इसी महीने आठ अक्तूबर को श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने “राष्ट्रीय श्रम एवं रोज़गार नीति - श्रम शक्ति नीति 2025” का मसौदा जनता से प्रतिक्रिया आमंत्रित करने के लिए जारी किया था.
इस मसौदे का ट्रेड यूनियनों ने विरोध किया है.
सीपीआई से जुड़ी ट्रेड यूनियन एटक ने कहा है कि इस श्रम शक्ति नीति का प्रस्ताव बिना ट्रेड यूनियनों से सलाह के तैयार किया गया है. उसने इस मसौदे को तुरंत वापस लेने की मांग की है.
बीएसएनएल एम्प्लॉईज़ यूनियन ने एक बयान जारी कर इस मसौदे की आलोचना की है. (bbc.com/hindi)


