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लाखों की इनामी शीर्ष महिला नक्सल नेता सुजाता का तेलंगाना में समर्पण
13-Sep-2025 6:57 PM
लाखों की इनामी शीर्ष महिला नक्सल नेता सुजाता का तेलंगाना में समर्पण

आईजी बस्तर की चेतावनी- माओवादी नेतृत्व के पास हिंसा छोडक़र मुख्यधारा में लौटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 13 सितंबर।
आज नक्सली आंदोलन की रणनीतिकार रही शीर्ष महिला नेता और प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन की केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता उर्फ कल्पना ने तेलंगाना में आत्मसमर्पण किया। तेलंगाना पुलिस महानिदेशक की मौजूदगी में उन्होंने हथियार डालते हुए मुख्यधारा में वापसी की घोषणा की।

सुजाता, दंडकारण्य विशेष ज़ोनल समिति के दक्षिण उप-ज़ोनल ब्यूरो की प्रभारी थी। उसके ऊपर 40 लाख रुपये का ईनाम घोषित था तथा बस्तर रेंज के विभिन्न जिलों में दर्ज 72 से अधिक मामलों में वह वांछित थी। सुजाता का समर्पण दण्डकारण्य क्षेत्र में माओवादी आंदोलन के लिए एक गंभीर झटका है। माओवादी संगठन की वरिष्ठतम नेताओं में से एक होने के नाते, उनका यह निर्णय हाल के समय में माओवादी पंक्तियों में गहराते आत्मविश्वास संकट को दर्शाता है।

यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम बस्तर पुलिस द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, आसूचना एजेंसियों और अंतर्राज्यीय सीमा क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा इकाइयों के साथ बेहतर समन्वय में चलाए गए लगातार और आक्रामक अभियानों का प्रत्यक्ष परिणाम है। इन संयुक्त प्रयासों ने माओवादी ढांचों को गहरी चोट पहुँचाई है और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उनके कमांड तंत्र को बाधित किया है।

हाल के महीनों में,छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर रेंज एवं अन्य क्षेत्रों के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों को लगातार भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिनमें कई वरिष्ठ नेताओं का निष्प्रभावी होना, बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटकों की बरामदगी तथा उनके पुराने ठिकानों में अनेक ठिकानों का ध्वस्तीकरण शामिल है। इन सतत अभियानों ने माओवादियों को regroup होने और विस्तार करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी, जिससे उनके शीर्ष नेतृत्व का भी संगठन के भविष्य पर विश्वास डगमगा गया है।

बस्तर  के आईजी सुन्दरराज पाट्टलिंगम ने कहा कि सुजाता का आत्मसमर्पण, बस्तर में लागू की जा रही मजबूत और बहुआयामी माओवादी विरोधी रणनीति  को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। सक्रिय पुलिसिंग प्रयासों के साथ-साथ सरकार का विकास और कल्याण पर विशेष ध्यान, माओवादियों के प्रभाव को कमजोर करने और उनके जनाधार को खत्म करने में निर्णायक रहा है।

प्रतिबंधित एवं निषिद्ध भाकपा (माओवादी) संगठन की वरिष्ठ केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता, दंडकारण्य विशेष ज़ोनल समिति के दक्षिण उप-ज़ोनल ब्यूरो की प्रभारी थी। उसके ऊपर 40 लाख रुपये का ईनाम घोषित था तथा बस्तर रेंज के विभिन्न जिलों में दर्ज 72 से अधिक मामलों में वह वांछित थी।

सुजाता के मुख्यधारा में लौटने और शांति, गरिमा तथा आशा के मार्ग को अपनाने के इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत करते हुए, आईजीपी बस्तर रेंज ने प्रतिबंधित संगठन के शेष कैडर और नेताओं से अपील की है कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हों, ताकि बस्तर  के लोगों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य का निर्माण किया जा सके।


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