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नागपुर, 10 सितंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत का चरित्र सेवाभाव में निहित है और यही भावना आज की महाशक्तियों की तरह बनने के बजाय तटस्थ भाव से विश्व की सेवा करने में उसका मार्गदर्शक सिद्धांत साबित होगी।
उन्होंने खेद व्यक्त किया कि विज्ञान व ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में प्रगति और मनुष्यों के पास सब कुछ होने के बावजूद, दुनिया में अब भी झगड़े जारी हैं।
भागवत ने कहा कि भारत दुनिया को एक नया रास्ता दिखाएगा। दुनिया इसे 'गुरु' कहेगी, वहीं भारत उन्हें 'मित्र' कहेगा।
वह नागपुर में आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'सोमनाथ ज्योतिर्लिंग महा रुद्र पूजा' में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, "हमें पूरे विश्व का कल्याण करना है, क्योंकि विश्व अलग नहीं है...हम स्वयं विश्व का हिस्सा हैं। हम किसी पर कोई उपकार नहीं करेंगे। हम विश्व को एक नया मार्ग दिखाएंगे, विश्व हमें 'गुरु' कहेगा, लेकिन हम विश्व को अपना 'मित्र' कहेंगे। हम आज की महाशक्तियों की तरह महाशक्ति नहीं बनेंगे। हम विश्व में क्या करेंगे? हम व्यवस्थित रूप से, तटस्थता से, पूरे विश्व की सेवा करेंगे।"
उन्होंने कहा, "हम देखते हैं कि विज्ञान और मानव ज्ञान में प्रगति के बावजूद, झगड़े अब भी जारी हैं और मनुष्य सब कुछ पाकर भी असंतुष्ट है। यह सब देखकर दुनिया लड़खड़ा रही है और उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।” (भाषा)