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नयी दिल्ली, 10 सितंबर। मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को पूरे देश में लागू करने की तैयारियों पर चर्चा के लिए निर्वाचन आयोग राज्यों के अपने अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक कर रहा है।
बैठक में आयोग के वरिष्ठ अधिकारी एसआईआर नीति पर प्रस्तुति दे सकते हैं, वहीं बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एसआईआर लागू करने में राज्य के अनुभव साझा करेंगे।
फरवरी में ज्ञानेश कुमार के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में पदभार संभालने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की यह तीसरी बैठक है। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को दिन भर चलने वाली बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें पूरे देश में एसआईआर की तैयारियों पर चर्चा की जा रही है।
आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद, एसआईआर पूरे देश में लागू किया जाएगा।
ऐसे संकेत हैं कि यह प्रक्रिया इस साल के अंत में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शुरू हो जाएगी।
इस गहन पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकालना है।
बांग्लादेश और म्यांमा सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अंततः, चुनाव प्राधिकरण ‘‘मतदाता सूचियों की अखंडता की रक्षा के अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन’’ के लिए पूरे देश में एसआईआर शुरू करेगा।
गहन समीक्षा के तहत, चुनाव अधिकारी त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे।
विपक्षी दलों द्वारा भाजपा की मदद के लिए आयोग पर मतदाता आंकड़ों में हेराफेरी करने के आरोपों के बीच, निर्वाचन आयोग ने गहन संशोधन में अतिरिक्त कदम उठाए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवैध प्रवासी मतदाता सूची में शामिल न हों।
मतदाता बनने या राज्य के बाहर से आने वाले आवेदकों की एक श्रेणी के लिए एक अतिरिक्त 'घोषणा पत्र' पेश किया गया है। उन्हें यह शपथपत्र देना होगा कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था और जन्म तिथि और/या जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाला कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।
घोषणा पत्र में सूचीबद्ध विकल्पों में से एक यह है कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 और 2 दिसंबर, 2004 के बीच भारत में हुआ हो। उन्हें अपने माता-पिता की जन्मतिथि/स्थान के बारे में भी दस्तावेज जमा करने होंगे।
लेकिन बिहार मतदाता सूची संशोधन पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है। उनका दावा है कि करोड़ों पात्र नागरिक दस्तावेजों के अभाव में मतदान के अधिकार से वंचित रह जाएंगे।
उच्चमत न्यायालय ने आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी पात्र नागरिक छूट न जाए।
कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने अपने राज्यों में पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां जारी करना शुरू कर दिया है।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम गहन पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में अंतिम एसआईआर 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
राज्यों में अंतिम एसआईआर ‘कट ऑफ’ तिथि के रूप में काम करेगी क्योंकि निर्वाचन आयोग गहन पुनरीक्षण के लिए बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग कर रहा है।
अधिकतर राज्यों ने 2002 और 2004 के बीच मतदाता सूचियों का संशोधन किया। (भाषा)