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(सुमीर कौल)
श्रीनगर, 27 जुलाई। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर देश के संविधान का सम्मान किया जाना है तो जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर स्थानीय सरकार के पास सुरक्षा की जिम्मेदारी होती, पहलगाम में आतंकी हमले को टाला जा सकता था।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की बढ़ती मांग के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘यह आशावान होने का सवाल नहीं है।’’
उन्होंने हाल में यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर भारत के संविधान का सम्मान किया जाना है, तो राज्यों को कभी भी केंद्र शासित प्रदेशों में नहीं बदला जाए। केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में बदला जाता है। (लेकिन) त्रासदी यह है कि उन्होंने एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया। और उन्होंने क्या हासिल कर लिया?’’
अब्दुल्ला ने उल्लेख किया कि छह साल पहले पांच अगस्त 2019 को जब अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया गया था, तब ‘‘वादा’’ किया गया था कि ‘‘आतंकवाद खत्म हो जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या आतंकवाद खत्म हो गया है? या बढ़ गया है? केंद्र को संसद में इसका जवाब तो देना ही चाहिए।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि लोग ‘‘उम्मीद’’ कर रहे थे कि जम्मू कश्मीर को शीघ्र ही राज्य का दर्जा देने की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले से ही, सभी विपक्षी दल संसद में भी हमारे लिए लड़ रहे हैं... आपने हाल में (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन) खरगे और राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) को लिखे गए पत्र को देखा होगा, जिसमें राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है।’’
अब्दुल्ला ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने संसद में ‘‘हमसे वादे किए थे और उच्चतम न्यायालय में भी उसने वचन दिया था।’’
तीन बार पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने राज्य का दर्जा घटाने के पीछे केंद्र की मंशा पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, ‘‘और उन्हें क्या हासिल हुआ? जब उन्होंने ऐसा किया, तो उन्होंने कहा कि आतंकवाद खत्म हो जाएगा क्योंकि अनुच्छेद 370 उसके लिए जिम्मेदार है। पिछले छह सालों से, चुनाव आने से पहले वे पूरे पांच साल शासन करते रहे हैं।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सवाल किया, ‘‘और आज भी, सुरक्षा और बाकी सब चीजों पर उनका ही नियंत्रण है। क्या आतंकवाद खत्म हो गया है? या बढ़ गया है?’’
मौजूदा हालात पर विचार करते हुए, अब्दुल्ला ने सुरक्षा और प्रशासनिक मामलों पर जनता द्वारा चुनी गई सरकार के नियंत्रण की कमी पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि अगर स्थानीय सरकार सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती, तो हाल में हुए पहलगाम आतंकी हमले को टाला जा सकता था।
पहलगाम में सुरक्षा में विफलता को उपराज्यपाल द्वारा स्वीकार किये जाने का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि उपराज्यपाल ने अपनी विफलता स्वीकार कर ली है। उन्हें इस्तीफा देने का साहस करना चाहिए था।’’
अब्दुल्ला ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर की चार सीट खाली रहने पर गहरी खामोशी की ओर इशारा करते हुए इसे ‘‘त्रासदी’’ बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर को राज्यसभा चुनाव से क्यों वंचित रखा गया? इतना ही नहीं, विधानसभा में दो सीट रिक्त है। निर्वाचन आयोग क्या कर रहा है?’’
नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख ने पार्टी में अंदरूनी कलह की बात को खारिज कर दिया।
पाकिस्तान के बारे में अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘पाकिस्तान हार मानने वाला नहीं है। तो फिर आगे का रास्ता क्या है? युद्ध कभी किसी समस्या का समाधान नहीं होता है।’’
उन्होंने एक ऐसे शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की जो ‘‘भारत के लिए, पाकिस्तान के लिए और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए सम्मानजनक’’ हो। (भाषा)