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शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 के अन्य अंतरिक्षयात्री आज करीब तीन बजे पृथ्वी पर लौटेंगे
15-Jul-2025 12:27 PM
शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 के अन्य अंतरिक्षयात्री आज करीब तीन बजे पृथ्वी पर लौटेंगे

नयी दिल्ली, 15 जुलाई। एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य लोग मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिन के प्रवास के बाद 22.5 घंटे की यात्रा करके पृथ्वी पर लौटेंगे और वह कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में उतरेंगे।

शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिट्सन, मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू को लेकर आ रहा ड्रैगन ‘ग्रेस’ अंतिरक्ष यान भारतीय समयानुसार सोमवार शाम 4:45 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हो गया।

एक्सिओम-4 मिशन का संचालन करने वाली कंपनी स्पेसएक्स ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ड्रैगन अंतरिक्ष यान और एक्सिओम स्पेस एएक्स-4 के सभी सदस्य मंगलवार को भारतीय समयानुसार अपराह्न तीन बजकर एक मिनट पर पृथ्वी के वाायुमंडल में फिर से प्रवेश करेंगे और सैन डिएगो तट पर पानी में उतरेंगे।’’

इसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष यान प्रशांत महासागर में उतरने से पहले एक संक्षिप्त ध्वनि विस्फोट के साथ अपने आगमन की घोषणा भी करेगा।

अंतरिक्ष यान के पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते ही भारतीय समयानुसार आज अपराह्न दो बजकर सात मिनट पर प्रशांत महासागर के ऊपर ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ होने की उम्मीद है।

जब कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा होता है और उसे वापस धरती पर लाना होता है, तो उसकी गति को कम करना आवश्यक होता है ताकि वह कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके। इसी गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स (छोटे इंजन) को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है। इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ कहते हैं।

अंतिम तैयारियों में कैप्सूल के ट्रंक को अलग करना और वायुमंडल में प्रवेश से पहले ‘हीट शील्ड’ को अनुकूलित करना शामिल है, जिससे अंतरिक्ष यान लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस तापमान के संपर्क में आएगा।

पैराशूट दो चरण में तैनात किए जाएंगे - पहले लगभग 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट, उसके बाद लगभग दो किमी की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट।

अंतरिक्ष यान को एक विशेष रिकवरी जहाज पर उतारा जाएगा, जहां से अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से बाहर निकाला जाएगा।

एक्सिओम-4 के चालक दल की जहाज पर ही कई चिकित्सीय जांच की जाएंगी। इसके बाद वे तट पर आने के लिए एक हेलिकॉप्टर में सवार होंगे।

चारों अंतरिक्ष यात्रियों को पुनर्वास में सात दिन बिताने पड़ सकते हैं, क्योंकि उन्हें अंतरिक्ष की कक्षा में अनुभव की जाने वाली भारहीनता के विपरीत, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पृथ्वी पर जीवन के लिए खुद को ढालना होगा।

चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने सोमवार को एक दूसरे को गले लगाकर और हाथ मिलाकर अनडॉकिंग से लगभग दो घंटे पहले ड्रैगन अंतरिक्ष यान में प्रवेश किया, अपने स्पेससूट पहने और भारतीय समयानुसार अपराह्न 2:37 बजे अंतरिक्ष यान को आईएसएस से जोड़ने वाले हैच को बंद कर दिया।

रविवार को आईएसएस पर विदाई समारोह में शुक्ला ने कहा, ‘‘जल्द ही धरती पर मुलाकात करते हैं।’’

राकेश शर्मा के 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने के बाद शुक्ला दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं।

एक्सिओम-4 मिशन के साथ भारत, पोलैंड और हंगरी ने चार दशकों से भी अधिक समय के बाद अंतरिक्ष में वापसी की है।

अपने आदर्श राकेश शर्मा को याद करते हुए शुक्ला ने कहा कि 41 साल पहले एक भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी और बताया था कि वहां से भारत कैसा दिखता है।

शुक्ला ने कहा, “हम सभी आज भी यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि ऊपर से आज भारत कैसा दिखता है। आज का भारत महत्‍वाकांक्षी दिखता है... आज का भारत निडर दिखता है,...आज का भारत आश्वस्त दिखता है.. आज का भारत गर्व से पूर्ण दिखता है।”

उन्होंने कहा, “इन सभी कारणों से, मैं एक बार फिर कह सकता हूं कि आज का भारत अब भी 'सारे जहां से अच्छा' दिखता है। जल्द ही धरती पर मुलाकात करते हैं।”

शुक्ला ने कहा, "जब मैंने 25 जून को फ़ॉल्कन-9 पर अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी, तब मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। मुझे लगता है कि इसमें शामिल लोगों की वजह से यह अविश्वसनीय रहा है। मेरे (एक्सपीडिशन 73 के चालक दल) पीछे खड़े लोगों ने इसे हमारे लिए वाकई खास बना दिया है। यहां आकर और आप जैसे पेशेवरों के साथ काम करके मुझे बहुत खुशी हुई।"

यह शुक्ला के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा रही है, जो आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने तथा शर्मा के 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन के तहत अंतरिक्ष उड़ान भरने के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह एक ऐसा अनुभव है जो अंतरिक्ष एजेंसी को उसके मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान की योजना और क्रियान्वयन में मदद करेगा, जिसे 2027 में अंतरिक्ष में भेजे जाने की संभावना है। (भाषा)


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