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मैनपाट शिविर में रूपरेखा तैयार, कार्यकारिणी में दिखेगी झलक
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 10 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अभी से रणनीति बना रही है। बताया गया कि मैनपाट प्रशिक्षण शिविर में पार्टी और आरएसएस के नेताओं के बीच चर्चा हुई, और यह तय किया गया कि पार्टी सरगुजा-बस्तर संभाग के साथ ही अनुसूचित जाति के आरक्षित सीटों पर फोकस करेगी। पार्टी के रणनीतिकार इस बात से चिंतित हैं कि बहुजन समाज पार्टी के जनाधार में गिरावट का फायदा कांग्रेस को हो रहा है, और अनुसूचित जाति के वोट कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं।
मैनपाट में भाजपा के चिंतन शिविर में आरएसएस के प्रांत प्रमुख अभयराम की राष्ट्रीय सह महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय महामंत्री अजय जामवाल, और महामंत्री (संगठन ) पवन साय के साथ हुई है। इसमें सीएम विष्णु देव साय भी थे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में प्रदेश की राजनीतिक स्थिति, और आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा हुई।
चर्चा में यह बात उभरकर सामने आई है कि विधानसभाचुनाव में भले ही कांग्रेस हार गई है, लेकिन परंपरागत अनुसूचित जाति के वोटरों पर फिर से पैठ बन रही है। इसका प्रमुख कारण हाल के वर्षों में बहुजन समाज पार्टी के जनाधार में गिरावट आना है। विधानसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई। इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिला, और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 में से 6 सीट जीतने में कामयाब रही। यही नहीं, अनुूसूचित जाति बाहुल्य अविभाजित जांजगीर-चांपा जिले में कांग्रेस को एकतरफा सफलता मिली। जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा में एक भी सीट भाजपा नहीं जीत पाई है। भाजपा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित चार सीटें मिली है,जो कि रायपुर और दुर्ग संभाग की हैं।
पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि बस्तर में सीटें यथावत रखने, और सरगुजा में यथासंभव नुकसान न हो, इस दिशा में अभी से काम करने की जरूरत है। पार्टी अब अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों में विशेष ध्यान देगी। इस दिशा में कदम उठाते अनुसूचित जाति के नेताओं को अहम दायित्व देने का फैसला करने जा रही है। अनुसूचित जाति के नेताओं को पार्टी संगठन में उपाध्यक्ष और महामंत्री के पद पर नियुक्त किए जाएंगे। अनुसूचित जाति के कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं इनमें आरंग के नेता वेदराम मनहरे, पूर्व विधायक नवीन मारकंडेय, पूर्व विधायक अंबेश जांगड़े, और पूर्व सांसद कमला देवी पाटले और गुहाराम अजगल्ले का नाम है। इससे परे भी कई नए नामों पर चर्चा हो रही है। सरकार अनुसूचित जाति बाहुल्य इलाकों में योजनाओं के जरिए अनुसूचित जाति के वोटरों पर पैठ जमाने की कोशिश में हैं।
पार्टी ने उन जिलों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया है जहां पिछले चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। बालोद एक ऐसा जिला है जहां पिछले दो चुनाव में पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। यहां लगातार दो चुनाव में भाजपा को तीनों विधानसभा की सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। यहां संगठन को मजबूत करने के लिए व्यापक बदलाव पर सहमति बनी है। सरगुजा में सभी सीटें भाजपा के पास है। इसी तरह बस्तर संभाग में भी भाजपा मजबूत स्थिति में है। इन इलाकों में पार्टी को नुकसान न हो, इसलिए अभी से जरूरी कदम उठाने पर सहमति बनी है। कुल मिलाकर प्रशिक्षण शिविर में आरएसएस और भाजपा नेताओं के बीच फैसलों की झलक भाजपा की नई कार्यकारिणी देखने को मिल सकती है। नई कार्यकारिणी के जल्द घोषित होने की संभावना जताई जा रही है।