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-विष्णुकांत तिवारी
पन्ना टाइगर रिज़र्व की सबसे बुज़ुर्ग हथिनी वत्सला की मंगलवार दोपहर 1:30 बजे हिनौता हाथी कैंप के पास मौत हो गई.
उम्र के चलते कमज़ोर हो चुकी हथिनी वत्सला नाले पास गिर गई थी. बाद में अस्पताल में इलाज में दौरान उसकी मौत हो गई.
पन्ना टाइगर रिज़र्व की फील्ड डायरेक्टर अंजना तिर्की ने बीबीसी को बताया, “मंगलवार की दोपहर वत्सला का निधन हो गया. वत्सला को वर्किंग, लिविंग एलिफेंट्स में सबसे उम्रदराज या ओल्डेस्ट एलीफेंट माना जाता था.”
मूल रूप से केरल के नीलांबुर वन मंडल में पली-बढ़ी वत्सला को 1971 में मध्य प्रदेश लाया गया था. 1993 में उसे पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया. 2003 से उसकी विशेष देखभाल की जा रही थी.
2020 में मोतियाबिंद के कारण वत्सला की दृष्टि चली गई थी, लेकिन साथी हाथी और महावतों की मदद से वो जंगल में घूमती रही.
वत्सला का जीवन कई बार संकट में भी आया. 2003 और 2008 में नर हाथी रामबहादुर ने उस पर जानलेवा हमला किया था. इससे वत्सला के पेट में गंभीर चोटें आई थीं, लेकिन डॉक्टरों की मेहनत से उसे नया जीवन मिला.
वत्सला के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर श्रद्धांजलि देते हुए पोस्ट कर लिखा, “वत्सला का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा. पन्ना टाइगर रिज़र्व में 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली. वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मध्य प्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थी.”
मध्य प्रदेश के वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा, “वत्सला न केवल पन्ना बल्कि मध्य प्रदेश का एक गौरव थी. हाथियों के संरक्षण का एक अच्छा उदाहरण था उसका सर्वाइवल. पन्ना टाइगर रिज़र्व ने इस मामले में बहुत अच्छा काम किया है. वाइल्डलाइफ की ट्रेनिंग में यह एक मिसाल बनेगी कि आखिर किसी वन्यप्राणी से आप कैसे बॉन्ड बनाएं और कैसे उनके संरक्षण में बेहतरी लाई जा सकती है.” (bbc.com/hindi)