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नयी दिल्ली, 9 जुलाई। प्रथम स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत ‘निस्तार’ भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यह पोत अत्यधिक विशिष्ट है और गहरे समुद्र में गोताखोरी तथा बचाव अभियान चला सकता है।
उन्होंने बताया कि यह पोत गहरे पानी में बचाव कार्य करने वाली पनडुब्बी (डीएसआरवी) के लिए ‘मदर शिप’ यानी मुख्य जहाज के रूप में भी काम करेगा ताकि पनडुब्बी से किसी आपात स्थिति में कर्मियों को बचाने और निकालने में मदद मिल सके।
नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘निस्तार पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित गोताखोरी सहायता पोत है। इसे हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने आठ जुलाई को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना को सौंपा।’’
उन्होंने बताया कि यह एक खास तरह का पोत है और गहरे समुद्र में गोताखोरी और बचाव अभियान चला सकता है। उनके अनुसार, ऐसी क्षमता दुनिया की कुछ ही नौसेनाओं के पास होती है।
उन्होंने कहा कि इस युद्धपोत को भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के नियमों के अनुसार निर्मित किया गया है।
‘निस्तार’ नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ मुक्ति या बचाव होता है।
प्रवक्ता ने कहा कि 118 मीटर लंबे और लगभग 10,000 टन वजनी इस पोत में गोताखोरी के अत्याधुनिक उपकरण लगे हुए हैं और यह 300 मीटर गहराई तक गहरे समुद्र में गोताखोरी करने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि यह पोत गोताखोरों की निगरानी और 1000 मीटर गहराई तक बचाव कार्यों के लिए दूर से नियंत्रित वाहन (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स) से लैस है।
प्रवक्ता ने कहा कि लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ ‘निस्तार’ की सुपुर्दगी, स्वदेशी निर्माण के लिए भारतीय नौसेना की खोज में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के दृष्टिकोण के अनुरूप है। (भाषा)