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भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 7 जुलाई को केरल के नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ के स्टूडेंट्स को संबोधित किया.
इस दौरान उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति में चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया के शामिल होने पर बयान दिया.
उन्होंने कहा, "मुझे हैरानी है कि सीबीआई डायरेक्टर जैसे कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश की भागीदारी से की जाती है. क्यों? और ज़रा सोचिए, सीबीआई डायरेक्टर पद के अनुक्रम में सबसे सीनियर व्यक्ति नहीं हैं. उनके ऊपर सीवीसी, कैबिनेट सचिव, सभी सचिव होते हैं."'
"क्या ऐसा दुनिया में कहीं और हो रहा है? मेरा कहना है कि कार्यपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका के अलावा किसी और से क्यों कराई जानी चाहिए."
जगदीप धनखड़ ने ये बात शक्ति विभाजन के सिद्धांत की अहमियत बताते हुए कही.
उन्होंने कहा, "संविधान की मूल भावना का संरक्षण तब होता है जब संविधान के तीनों स्तंभ- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका- आपसी तालमेल में काम करते हैं. लेकिन अगर इन तीनों स्तंभों में सामंजस्य न हो तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है."
जगदीप धनखड़ ने कहा, "यही कारण है कि कानून के स्टूडेंट्स के तौर पर आप 'सत्ता के विभाजन के सिद्धांत' पर ध्यान दें. मुद्दा ये नहीं है कि तीनों स्तंभों में से कौन सर्वोच्च है. संविधान की हर संस्था अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोच्च है."
बता दें कि केंद्र सरकार सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति तीन सदस्यों की समिति की सिफ़ारिश पर करती है. इस समिति में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया या उनकी ओर से नामित सुप्रीम कोर्ट के कोई जज शामिल होते हैं. (bbc.com/hindi)