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'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 8 जुलाई। शहर की टूटी-फूटी सड़कों और जाम की परेशानी पर हाईकोर्ट में आगे की सुनवाई सोमवार को हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने नगर निगम आयुक्त और लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता से शपथपत्र पर जवाब मांगा है कि बिलासपुर की सड़कें आखिर कब तक सुधारी जाएंगी।
हाईकोर्ट ने ये सवाल अपने स्व-संज्ञान के तहत दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उठाया। कोर्ट ने कहा कि शहर के अंदर की सड़कें बुरी हालत में हैं, जगह-जगह गड्ढे हैं, जिससे आम लोगों को रोज़ाना परेशानी झेलनी पड़ रही है। अगली सुनवाई 23 जुलाई को तय की गई है।
दरअसल, मामला शुरू हुआ अपोलो हॉस्पिटल, लिंगियाडीह की ओर जाने वाली सड़क से। ये सड़क काफी संकरी है और उस पर अतिक्रमण के चलते हमेशा जाम लगा रहता था। मरीजों और उनके परिजनों को आने-जाने में भारी दिक्कत होती थी। खुद मुख्य न्यायाधीश ने अपने दौरे में इस स्थिति को देखा और उसी के बाद जनहित याचिका के रूप में मामले की सुनवाई शुरू की गई।
कोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने कार्रवाई करते हुए बसंत विहार चौक से अपोलो तक सड़क किनारे के कई निर्माणों को हटाया और सड़क को चौड़ा किया। इसके बाद कोर्ट ने पूरे शहर की सड़कों की हालत को लेकर भी सुनवाई शुरू की।
पिछली सुनवाई में नगर निगम ने कोर्ट को बताया था कि अपोलो चौक से मानसी गेस्ट हाउस होते हुए रपटा तक की सड़क को चौड़ा करने के लिए 6 मई 2025 को कार्यादेश जारी कर दिया गया है। चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि शहर की सड़कों पर गंदगी और नालियों का पानी बह रहा है, जिससे बारिश में बीमारी फैल सकती है।
कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव को भी निर्देश दिया था कि वह शहर में नालियों की सफाई और जलभराव से निपटने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं, इस पर व्यक्तिगत हलफनामा पेश करें।