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हाईकोर्ट ने पीएचई विभाग के इंजीनियरों के भर्ती नियम को बताया गैरकानूनी
07-Jul-2025 2:26 PM
हाईकोर्ट ने पीएचई विभाग के इंजीनियरों के भर्ती नियम को बताया गैरकानूनी

डिग्रीधारकों को मिली अंतरिम राहत को लगी अंतिम फैसले से मुहर

'छत्तीसगढ़' संवाददाता 
बिलासपुर, 7 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को सब-इंजीनियर पदों से बाहर करने वाले नियम को गैरकानूनी और अधिकार क्षेत्र से बाहर करार दिया है। यह नियम छत्तीसगढ़ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग  की 2016 की भर्ती नियमावली में था, जिसमें केवल डिप्लोमा धारकों को ही सीधी भर्ती में पात्र माना गया था।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने यह फैसला दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया, जिन्हें दो दर्जन से ज्यादा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स ने दायर किया था।

पीएचई विभाग में सब-इंजीनियर (सिविल/मैकेनिकल/इलेक्ट्रिकल) की सीधी भर्ती के लिए 7 मार्च 2025 को विज्ञापन जारी हुआ था। परीक्षा 27 अप्रैल 2025 को रखी गई थी। लेकिन इसमें सिर्फ तीन साल के डिप्लोमा होल्डर्स को ही आवेदन करने की अनुमति थी।

 

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि इंजीनियरिंग डिग्री डिप्लोमा से उच्च योग्यता है, फिर उन्हें आवेदन से क्यों बाहर रखा गया? साथ ही उन्होंने बताया कि अन्य विभाग जैसे पीडब्ल्यूडी और सीएसपीडीसीएल में डिप्लोमा और डिग्री दोनों धारक पात्र होते हैं, फिर पीएचई में भेदभाव क्यों? हाईकोर्ट ने कहा कि उच्च योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों को बाहर करना न केवल अनुचित है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह नियम प्रतिभाशाली उम्मीदवारों की भर्ती में बाधा डालता है, और यह योग्यता, समान अवसर और निष्पक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है।

इस मामले में राज्य सरकार ने कहा कि 2016 के नियम पुराने 1979 और 2012 के नियमों जैसे ही हैं, और 5 प्रतिशत प्रमोशन कोटा डिप्लोमा व डिग्रीधारकों दोनों के लिए पहले से है। यह कोटा सेवा में पहले से कार्यरत कर्मचारियों के लिए है। लेकिन कोर्ट ने इसे मुख्य भर्ती से जोड़कर डिग्रीधारकों को वंचित करना गलत बताया।

कोर्ट ने राज्य सरकार और छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल को निर्देश दिया कि इंजीनियरिंग डिग्री धारकों को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए, बशर्ते वे अन्य निर्धारित योग्यताएं पूरी करते हों। मालूम हो कि  25 मार्च 2025 को हाईकोर्ट ने डिग्री धारकों को अस्थायी रूप से आवेदन की अनुमति दी थी, जो अंतिम निर्णय पर निर्भर थी। अब कोर्ट के अंतिम आदेश के बाद डिग्रीधारकों की पात्रता पर मुहर लग गई है।


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