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सरगुजा का स्वाद
सरगुजा में भारी बारिश हो रही है, और इसके बीच सोमवार से मैनपाट में भाजपा का प्रशिक्षण शिविर शुरू हो रहा है। अंबिकापुर में तो बारिश के चलते लोगों के घरों में पानी घुस गया है, लेकिन ऊंचाई पर स्थित मैनपाट का माहौल खुशनुमा हो चला है। शिविर को सरगुजिया टच देने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।
शिविर की व्यवस्था में जुटे स्थानीय भाजपा नेताओं ने विधायक-सांसदों के लिए खास तौर सरगुजिया भोजन का बंदोबस्त किया है। अतिथियों को लजीज पुट्टु, और कोचई (अरबी) पत्ते की सब्जी के साथ-साथ सुगंधित सरगुजिया चावल परोसे जाएंगे। शिविर में शाकाहार पर जोर दिया गया है, इसलिए नॉनवेज की व्यवस्था नहीं है। इससे नॉनवेज के शौकीन नेताओं को निराश होना पड़ सकता है।
कुछ बड़े नेताओं ने अपने निज सहायक, और सुरक्षा कर्मियों को भी शिविर स्थल के आसपास ठहराना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें साफ तौर पर मना कर दिया गया। शिविर स्थल के आसपास दो किमी तक बाहरी व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
रेल लाइन में लिए मौका
भाजपा के प्रशिक्षण शिविर को लेकर काफी उत्सुकता है। पूरी विष्णुदेव साय कैबिनेट तीन दिन मैनपाट में रहेगी। इन सबके बीच सरगुजा रेल संघर्ष समिति ने अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन की मांग को लेकर बकायदा एक ज्ञापन तैयार किया है।
समिति के सदस्यों ने सभी विधायक-सांसदों तक अपना मांग पत्र पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। समिति के सदस्यों ने उक्त रेल लाइन की मांग को लेकर रेणुकूट से अंबिकापुर तक करीब डेढ़ सौ किमी तक पदयात्रा की थी। खास बात ये है कि इस रेल परियोजना को लेकर स्थानीय विधायकों के बजाए तखतपुर के विधायक धर्मजीत सिंह ज्यादा मुखर रहे हैं।
उन्होंने विधानसभा में अशासकीय संकल्प लाया था, और सर्वसम्मति से पारित भी हुआ था। मगर यह परियोजना अभी सर्वे की स्थिति में ही है। अब पूरे विधायक-सांसदों का समर्थन मिले, इसके लिए समिति के सदस्यों ने कोशिश में लगे हैं, ताकि पिछड़े सरगुजा इलाके में रेल सुविधाओं का विस्तार हो सके। देखना है कि विधायक-सांसदों का क्या रुख रहता है।
जो उम्मीद से हैं
भाजपा का प्रशिक्षण शिविर के बाद 14 जुलाई से विधानसभा का पावस सत्र शुरू हो रहा है। अब सत्र तक साय कैबिनेट के विस्तार की संभावना नहीं दिख रही है। विस्तार आगे कब होगा, यह भी तय नहीं है। मगर कई विधायक प्रयासों में कोई कमी बाकी नहीं रखे हुए हैं। इन सबके बीच एक महिला विधायक ने पीताम्बरा पीठ दतिया में तीन दिन तक पूजा कराई है। पीताम्बरा पीठ की काफी मान्यता है, और विशिष्ट लोग अपनी इच्छापूर्ति के लिए यहां अनुष्ठान भी कराते हैं।
महिला विधायक को कैबिनेट में जगह पाने की उम्मीद थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब भगवान का ही सहारा है। इन सबके बीच महासमुंद जिले के एक नए नवेले विधायक ने मंत्री बनने के लिए जिस तरह जोड़तोड़ कर रहे हैं, उसकी भी काफी चर्चा है। खास बात यह है कि कई सीनियर विधायक पहले से ही दौड़ में हैं। ऐसे में नए नवेले विधायक को अपने लिए काफी उम्मीद दिख रही है। उनके करीबियों का दावा है कि संघ परिवार भी नए नवेले विधायक के समर्थन में है। कैबिनेट विस्तार कब होगा, यह तय नहीं है। फिलहाल तो सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठमा-लट्ठा।
चरोटा भाजी और बरसाती शाम
छत्तीसगढ़ की हरी-भरी मिट्टी में बरसात के मौसम में अपने आप उगने वाली चरोटा भाजी (कैसिया टोरा) को तोड़ते हुए एक ग्रामीण परिवार की ये तस्वीर अपनापन दिखाती है। महिलाएं और बच्चे मिलकर खेत में चरोटा पत्तियां चुन रहे हैं। कुछ बच्चे पत्तों की माला जैसी बना रहे हैं, तो महिलाएं साग तोडऩे में जुटी हैं। इस भाजी को तोड़ते वक्त साथ में हंसी-मजाक और अपनापन भरी बातें भी चल रही हैं। जब फोटो लेने की इजाजत ली गई तो बड़ी खुशी से कहा गया-लेग जा अपन घर बर चरोटा भाजी! यानी - ले जाओ, अपने घर के लिए भाजी। छत्तीसगढ़ की यही खासियत है - यहां भाजी सिर्फ साग नहीं, प्यार से भरी थाली का हिस्सा होती है। (तस्वीर- प्राण चड्ढा) (rajpathjanpath@gmail.com)