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कोलकाता/नयी दिल्ली, 19 मई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के भारत के रुख को सामने रखने के लिए गठित केंद्र के बहुदलीय राजनयिक मिशन का बहिष्कार नहीं कर रही हैं और केंद्र से औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने पर अपने प्रतिनिधि भेजेंगी।
तृणमूल प्रमुख बनर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रतिनिधिमंडलों में पार्टी के उम्मीदवार का फैसला केंद्र को नहीं करना चाहिए।
उनका यह बयान उस विवाद के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि तृणमूल सांसद यूसुफ पठान को बहुदलीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल से बाहर निकलने के लिए मजबूर किया गया था।
भाजपा ने इस घटनाक्रम के लिए पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला किया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर उत्तर बंगाल रवाना होने से पहले कोलकाता हवाई अड्डे पर कहा, ‘‘हमसे इस बारे में (प्रतिनिधिमंडल के लिए पार्टी प्रतिनिधि का नाम तय करने) संपर्क नहीं किया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आजकल व्यवस्था यह है कि वे मूल पार्टी को सूचित नहीं करते बल्कि संसदीय दल को सूचित करते हैं। लेकिन संसदीय दल संसदीय सत्रों के लिए काम करता है। वे नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते।’’
तृणमूल प्रमुख ने कहा कि केंद्र ने पार्टी पदाधिकारियों से प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में किसी सांसद का नाम तय करने का अनुरोध नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर अनुरोध हमारे पास आता है, तो निश्चित रूप से हम इस पर विचार कर सकते हैं। हम हमेशा केंद्र सरकार की नीति (विदेश मामलों पर) का समर्थन करते हैं। अगर कुछ खास होगा, तो हम इस पर विचार करेंगे, लेकिन अभी नहीं। फिलहाल, हम केंद्र सरकार के विचारों और उनके द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन कर रहे हैं।’’
बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार को किसी पार्टी के प्रतिनिधियों को चुनने का कोई अधिकार नहीं है।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ देश की कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के रुख को सभी के सामने रखने के लिए पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के परिजनों या ऑपरेशन सिंदूर का नेतृत्व करने वाले सशस्त्र बलों के अधिकारियों को विदेश भेजना चाहिए।
नयी दिल्ली में तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव ने संवाददाताओं के सामने दोहराया कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय हित, सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने और संप्रभुता की रक्षा के मामलों में सरकार के साथ खड़ी है।
अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘हालांकि, जहां तक संसदीय प्रतिनिधिमंडलों का सवाल है केंद्र एकतरफा फैसला नहीं कर सकता कि किस पार्टी से किसे चुना जाएगा। उन्हें नाम मांगने होंगे और सभी राजनीतिक दलों, खासकर विपक्षी खेमे के साथ व्यापक विचार-विमर्श की व्यवस्था करनी होगी।’’
डायमंड हार्बर के सांसद ने कहा कि अगर पार्टी से संपर्क किया जाता है, तो तृणमूल ‘‘निश्चित रूप से’’ अपने सदस्यों को प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में भेजेगी। (भाषा)