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हेमंत सोरेन को पसंद आई छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति, सीएसएमसीएल देगा कंसलटेंसी सर्विस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 जनवरी। एक अपै्रल से पड़ोसी राज्य झारखंड में शराब की बिक्री बढ़ाने छत्तीसगढ़ सरकार मदद करेगी। झारखंड के शराब कारोबार को छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (सीएसएमसीएल) कंसलटेंसी सेवाएं देगा। झारखंड सरकार अगले वित्तीय वर्ष से अपने आबकारी राजस्व को 19 सौ करोड़ से बढ़ाकर दो गुना करनी चाहती है।
दिसंबर 2000 में घटित झारखंड में हर साल दो साल में आबकारी नीति बदलती रही है। बावजूद इसके शराब की अवैध बिक्री के चलते सरकार को बड़ी आय से वंचित होना पड़ रहा था। 24 जिलों और 3.5 करोड़ की आबादी वाले राज्य में शराब से अब तक की सबसे अधिक आय 19 सौ करोड़ तक ही जा सकी है। जबकि ढाई करोड़ आबादी वाले छत्तीसगढ़ में आबकारी आय 46 करोड़ तक होती है। अपने बढ़ते बजट और राजस्व की कमी से जूझ रही झारखंड सरकार ने इस बार आबकारी आय बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है।
सीएम हेमंत सोरेन ने अपने आला अफसरों की टीम भेजकर, छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति और कारोबार के तौर-तरीकों का अध्ययन कराया है। झारखंड के पीएचई सचिव प्रशांत कुमार, एक्साइज कमिश्नर अमित कुमार और संचालक जनसंपर्क राजीव लोचन बख्शी की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सोरेन को सौंप दी है। कमेटी ने सिफारिश की है कि छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग से कंसलटेंसी सेवाएं लेकर झारखंड में शराब व्यवसाय किया जा सकता है। इसके लिए कंसलटेंसी फीस भी अगले कुछ दिनों में तय कर ली जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में पहले साल यानि 22-23 के लिए 6 करोड़ रुपये की कंसलटेंसी फीस मांगी है। जो हर साल बढ़ाई जा सकेगी। क्योंकि झारखंड में शराब का कारोबार भी बढ़ेगा। छत्तीसगढ़ गठन के बाद पहली बार राज्य सरकार किसी दूसरे प्रदेश को कंसलटेंसी सर्विस देकर फीस कमाएगी।
झारखंड में अभी ठेके पर बिकती है शराब
झारखंड इस समय देशी-विदेशी शराब ठेकेदारों के जरिए बिकती है। इस कारोबार का मिहीजाम और जामताड़ा नाम के दो सिंडिकेट कब्जा है। जो सरकार को देने वाले राजस्व के बराबर अवैध कारोबार भी कर लेता है। यह सरकार के खजाने में बड़ा नुकसान है।
और छत्तीसगढ़ में सरकारी दुकानों में बिकती है शराब
इधर छत्तीसगढ़ में शराब का कारोबार सरकारी उपक्रम सीएसएमसीएल करता है। जो 663 दुकानों के जरिए हर साल 4 हजार करोड़ से अधिक शराब बेचता है। राज्य गठन के बाद यहां भी निजी ठेकेदारों के जरिए शराब का कारोबार होता रहा, लेकिन साल 2013-18 के दौरान नीति बदल कर सरकारी उपक्रम इस कारोबार में कूदा। जो 663 दुकानों के जरिए देशी-विदेशी शराब बेचता है। इस उपक्रम में पदेन मुख्य सचिव , डीजीपी और आबकारी सचिव संचालक मंडल के सदस्य होते हैं।
कोरोना की दूसरी, तीसरी लहर में किया बड़ा नुकसान
इस बीच कोरोना की तीसरी लहर में आबकारी विभाग और सीएसएमसीएल प्रबंधन की चिंता बढ़ा दी है। विभाग ने इस साल के लिए आबकारी राजस्व का लक्ष्य 5 हजार करोड़ का तय किया था। लेकिन बीते अप्रैल में ही कोरोना की पहली लहर और अब दूसरी लहर से इस साल कारोबार में करीब 16 सौ से 18 सौ करोड़ की कमी होने का आंकलन है। लॉकडाउन और समय से पहले दूकाने बंद करने के कारण शराब की बिक्री घटी है। साथ ही सोशल डिस्टेसिंग के चलते अंग्रेजी शराब के शौकीनों में भी पार्टी का चलन कम हुआ है। इस तरह से इस साल आय 35 सौ से 4 हजार करोड़ होने का आंकलन है।


