खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 8 नवंबर। लोक संगीत एवं कला संकाय में प्रसिद्ध लोकरंगकर्मी पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर की स्मृति में ‘स्मरण पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर’ कार्यक्रम का आयोजन 7 नवम्बर को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति प्रो. डॉ. लवली शर्मा उपस्थित रहीं। अध्यक्षता प्रो. शरीफ मोहम्मद संस्थापक विभागाध्यक्ष एवं पूर्व अधिष्ठाता लोक संगीत एवं कला संकाय ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. भरत पटेल पूर्व अधिष्ठाता लोक संगीत एवं कला संकाय, प्रो. राजन यादव अधिष्ठाता लोक संगीत एवं कला संकाय उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा एवं पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन किया गया तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुवात की गई। अतिथि शिक्षक डॉ. परमानंद पाण्डेय ने पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर की जीवनी पर सारगर्भित प्रकाश डाला।
स्वागत उद्बोधन में प्रो. राजन यादव ने लोक संगीत विभाग के संस्थापक मोहम्मद शरीफ के बारे में बताया कि गांव-गांव चलकर जिन महापुरुषों ने इस विभाग को आगे बढ़ाया , उनमें मो. शरीफ का नाम लिया जाता है। शरीफ साहब ने दर्जनों पुस्तकें लिखी और प्रदर्शन भी करते आ रहे हैं। बच्चों की जागरूकता हेतु प्रतिमाह इस तरह का आयोजन किया जाता है ताकि वें ज्ञानार्जन कर सके। उन्होंने कहा कि केवल गुरु को सजग नहीं होना चाहिए बल्कि विद्यार्थियों को भी सजग होना पड़ेगा, तभी बेहतर ज्ञान प्राप्त कर पाओगे।
कुलपति प्रो.डॉ.लवली शर्मा ने कहा कि हमें सुखद अनुभूति होती है जब हमारे मंदिर में ऐसी विभूतियां होती है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमेशा कुछ न कुछ सिखते रहें, सीखने से ज्ञान बढ़ता है। प्रो.शरीफ बहुत बड़े प्रेरणा श्रोत हैं। हमें अपने आप को तराशना है और अपने आप को बेहतर बनाना है। कला जीवन पर्यंत चलने वाली साधना है, इसे समझने के लिए बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। इसके लिए समर्पण आवश्यक है तभी आगे बढ़ पाओगे।
प्रो. शरीफ मोहम्मद ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में अपनी पदस्थापना के संबंध में जानकारी प्रदान की और बच्चों को प्रेरित किया। कार्यक्रम को श्री डी.पी. वाजपेयी वरिष्ठ संपादक नवभारत जबलपुर ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ. दीपशिखा पटेल ने किया तथा आभार प्रदर्शन संगतकार डॉ. नत्थू तोड़े ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सुमरन धुर्वे, पूर्व छात्र परमानंद राजपूत, फारूक मेमन, अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार रफीक खैरागढिय़ा सहित अतिथि व्याख्यातागण तथा विद्यार्थी–शोधार्थीगण उपस्थित थे।


