खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़ , 29 सितंबर। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. डॉ. लवली शर्मा के संरक्षण में मोर गाँव के नाव ससुरार मोर नाव दमाद नाटक का मंचन हुआ। कार्यक्रम की मार्गदर्शन प्रो.मृदुला शुक्ल अधिष्ठाता कला संकाय रहीं। विशेष अतिथि के रूप में प्रभारी कुलसचिव डॉ.सौमित्र तिवारी उपस्थित रहे।
नाटक ‘गाँव के नाव ससुरार मोर नाव दमाद’ हबीब तनवीर द्वारा निर्देशित एक प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी नाचा शैली का नाटक है जिसने 1972 में बहुत वाहवाही लूटी थी। यह नाटक छत्तीसगढ़ की स्वदेशी नाट्य परंपरा से प्रेरित है और इसमें कलाकारों की प्रतिभा का महत्व दिखाया गया है। इस नाटक की कथा वस्तु की ओर ध्यान दें तो इसमें एक बूढ़े आदमी के चतुरता और एक लडक़ी की शादी किस प्रकार सिफऱ् पैसों के लालच में किसी भी व्यक्ति से कर दी जाती है दिखाया गया है। इसमें एक महिला के साथ हुई नाइंसाफ़ी को दिखाया गया है जो समाज को बहुत बड़ी सीख देती है।
इस नाटक के नाटककार हबीब तनवीर हैं जो भारत के मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे। इन्होंने मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के लोकनाट्य नाचा को पूरी दुनिया में एक नयी ऊँचाई प्रदान की है। नाचा के कलाकारों को बड़े से बड़ा मंच प्रदान करवाये हैं, जैसे आगरा बाज़ार, चरन दास चोर, बहादुर कलारीन। उक्त नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन नाट्य विभाग के अतिथि व्याख्याता डॉ.प्रमोद पाण्डेय एवं डॉ. शिशु कुमार सिंह ने किया।
संगीत परिकल्पना अतिथि व्याख्याता डॉ.परमानंद पाण्डेय की रही। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि कम समय में दो अतिथि व्याख्याताओं के द्वारा इस शानदार नाटक का आयोजन यह बताता है कि हमारे विश्वविद्यालय में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल रही है। सभी कलाकारों ने अपना पक्ष बेहतर निभाया है। इस नाट्य मंचन के लिए सभी कलाकारों को बधाई दी। प्रभारी कुलसचिव ने बेहतर प्रस्तुति के लिए सभी को बधाई दी। प्रो. मृदुला शुक्ल ने आयोजन में उपस्थिति एवं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से नाट्य प्रस्तुति में योगदान के लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी की अपनी–अपनी भूमिका होती है तभी नाटक सफल हो पाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।


