खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 23 अप्रैल। कला एवं ललित कला को समर्पित एशिया प्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ को विश्व पटल पर स्थापित करना है। उक्त उद्गार विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने कला संकाय के द्वारा आयोजित स्वागत एवं सम्मान समारोह के अवसर पर कही।
उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को गौरवपूर्ण स्थान पर प्रतिष्ठित करना मेरा पहला कर्तव्य है। प्रशासनिक एवं एकेडमिक दोनों क्षेत्र में हम विश्वविद्यालय को विश्व विख्यात बनाएंगे। इस कला तीर्थ की संगीत और कल की खुशबू देश ही नहीं वरन् विदेश में भी फैलेगी। खैरागढ़ के नगरवासियों, शिक्षक ,कर्मचारी एवं विद्यार्थियों के सहयोग से हम अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे। नगरवासियों के मंसानुरूप खैरागढ़ महोत्सव का भी आयोजन होगा।
प्रो. मृदुला शुक्ला ने कहा कि एक लंबे इंतजार के बाद हमें पूर्ण कालिक और एकेडमिक कुलपति मिला है, जिससे सभी में हर्ष व्याप्त है। हम सभी का प्रयास होगा कि कुलपति के सानिध्य में विकास की ओर अग्रसर होंगे।
प्रोफेसर राजन यादव ने कहा कि कलाकार ईश्वर के सांस्कृतिक दूत होते हैं, हम आपके कुशल मार्गदर्शन में शैक्षणिक, अकादमी और सांस्कृतिक गतिविधियों में निरंतर आगे बढ़ेंगे।
समारोह प्रारंभ होने से पहले कला संकाय की अधिष्ठाता प्रोफेसर डॉ. मृदुला शुक्ला, हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजन यादव, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. देवमाईत मिंज द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया।
प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मंगलानंद झा ने शाल श्रीफल भेंट कर कुलपति का सम्मान किया, वहीं अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक कौस्तुभ रंजन द्वारा इतिहास विभाग द्वारा प्रकाशित शोध जर्नल कला वैभव एवं शब्दांजलि की प्रति भेंट की गई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. मंगलानंद झा ने कहा कि कुलपति मैहर परंपरा की एक कुशल और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध सितार वादक हैं। आपने राजस्थान के लोकगीतों को शास्त्रीय विधि में पिरोने का महत्वपूर्ण कार्य किया है, वहीं संगीत के माध्यम से रोगों का इलाज करने में जो प्रयास किया गया, वह सफल हुआ। कुलपति जी का राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 26 से अधिक शोथलेख एवं 12 पुस्तक प्रकाशित हैं। कलाकार के साथ-साथ आप में कुशल प्रशासनिक क्षमता है जिसका लाभ सभी को प्राप्त होगा।
कार्यक्रम में धन्यवाद एवं आभार प्रदर्शन डॉ. कौस्तुभ रंजन द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक गण, कर्मचारी , शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।


