जशपुर

नेत्रदान पखवाड़ा शुरू, स्वास्थ्यकर्मियों समेत कई ने नेत्रदान का भरा फ़ार्म
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 26 अगस्त। राज्य में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पत्थलगांव सिविल अस्पताल में चिकित्सकों एव स्वास्थ्यकर्मियों समेत कई नागरिकों ने नेत्रदान का संकल्प लेते हुए नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भरे।
ज्ञात हो कि नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम होते हैं।
इस मौके पर नेत्र चिकित्सक डॉ. अजय ने बताया कि अभियान का उद्देश्य लोगों में नेत्रदान के महत्व पर जन जागरूकता पैदा करना है और लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने के लिए प्रेरित करना है, ताकि मरने के बाद आपकी आंखों से कोई दूसरा भी इस दुनिया को पूरी तरह देख सके। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि नेत्र ऑपरेशन के बाद व चश्मा पहनने वाले व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं। मधुमेह डायबिटीज के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं।
इस मौके पर महिला चिकित्सक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता मिंज ने बताया कि नेत्रदान का कार्य किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है। हालांकि, इसके लिए यह भी जरूरी है कि छह घंटे के अंदर नेत्रदान हो जाना चाहिए। नेत्रदान के लिए अपने नजदीक के चिकित्सालय में संपर्क किया जा सकता है। नेत्रदान लेने को चिकित्सक द्वारा स्वयं घर जाकर नेत्र निकालते हैं। यह कार्य नि:शुल्क किया जाता है।
उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर, स्वजन उसकी नेत्रदान करना चाहते हैं, तो चिकित्सीय टीम मौके पर पहुंचकर आखें कलेक्ट करती है। एक व्यक्ति की आंखों से दो नेत्रहीन लोगों की जिंदगी में रोशनी लौटाई जा सकती है। नेत्रदान किसी भी उम्र, रक्त समूह और व्यक्ति की ओर से किया जा सकता है।
इस अवसर पर बीएमओ डॉ. जेम्स मिंज, डॉ. अनीता मिंज नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ. शकुंतला निकुंज, डॉ. विकास गर्ग, डॉ. श्रद्धा तिर्की, डॉ. आशीष अग्रवाल, डॉ. प्रफुल्ल लकड़ा, डॉ. खुशवंत सारथी, डॉ. पी. आर. अजय, अनवर खान, बीपीएम आनन्द लकड़ा, बीडब्ल्यू शर्मा, पवन वैष्णव, स्टाफ नर्स चंदा दास, मीना भारतेंदु, अलका, पुष्पिका लकड़ा, बबीता रानी, अजय, किरण बोहीदार सहित अनेक स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित थे।
विदित हो कि अगर किसी व्यक्ति को एड्स, पीलिया, कर्क रोग (ब्लड कैंसर), रेबीज, सेप्टीसीमिया, टिटनेस, हेपेटाइटिस जैसी बीमारी रही है अथवा उसकी मृत्यु सर्पदंश आदि के कारण हुई है, तो उस मृतक का नेत्रदान नहीं लिया जा सकता है।
नेत्रदान करने के लिए भरे फार्म
मृत्यु के बाद नेत्रदान जरूर करें, इसके लिए इच्छुक व्यक्ति सिविल अस्पताल में पहुंचकर, निर्धारित फार्म भर सकते हैं। नेत्रदान से मृत व्यक्ति का चेहरा खराब नहीं होता। धर्म गुरूओं, जनप्रतिनिधियों, धार्मिक संस्थाओं, सेवाभावी संगठनों से जुड़े लोग नेत्रदान के प्रचार-प्रसार में सहायक और प्रेरणास्रोत हो सकते हैं।