अंतरराष्ट्रीय

म्यांमार में फ़रवरी में हुए तख़्तापलट के बाद से सेना के हाथों कम से कम 43 बच्चों की जान जा चुकी है.
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन ने 'सेव द चिल्ड्रन' ने ये जानकारी देते हुए कहा है कि म्यांमार में 'बुरे सपने जैसे हालात' हैं.
मरने वाले बच्चों में से एक छह साल की बच्ची थी. मरने वाले जिन बच्चों के बारे में जानकारी मिली है, उनमें ये सबसे कम उम्र का बच्ची थी. एक स्थानीय निगरानी समूह के मुताबिक़ तख़्तापलट के बाद से जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या 536 है.
सेना की सख़्ती
म्यांमार में सेना विरोध को सख़्ती से कुचल रही है. इस बीच म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के दूत का कहना है कि यहां 'और ख़ून बहने' का ख़तरा है. इस बीच सीमांत इलाक़े में सेना और नस्लीय अल्पसंख्यक समूह के बीच संघर्ष तेज़ हो गया है.
म्यांमार में आशांति की शुरुआत क़रीब दो महीने पहले हुई थी. तब सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए तख़्तापलट कर दिया था. चुनाव में आंग सान सू ची की पार्टी एनएलडी ने ज़बरदस्त जीत हासिल की थी.
तख़्तापलट के ख़िलाफ़ हज़ारों लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध जाहिर किया. सेना ने शुरुआत में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल किया. बाद में रबर की गोलियां और गोलियां चलाई गईं.
शनिवार को सबसे ज़ोरदार संघर्ष हुआ. उस दिन सौ से ज़्यादा लोगों की मौत हुई.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सेना ने सड़क पर मौजूद लोगों पर अचानक हमला किया. कुछ लोगों की मौत उनके घर के अंदर हुई.
हमले में जान गंवाने वाली छह साल की बच्ची खिन म्यो चित के परिवार ने बीबीसी को बताया कि मार्च महीने के आख़िर में मांडले स्थित उनके घर पर छापा मारा गया. इस दौरान बच्ची अपने पिता की और दौड़ी और उसे पुलिस की गोली लग गई. (bbc.com)