अंतरराष्ट्रीय

मलेरिया की रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा नायाब तरीका
23-May-2025 11:51 AM
मलेरिया की रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा नायाब तरीका

जेम्स गैलाघर और फ़िलिपा रॉक्सबी

अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि मच्छरों में संक्रमण ख़त्म करने के लिए उन्हें मलेरिया की दवाएं देनी चाहिए ताकि वे इस बीमारी को और फैला न सकें.

मादा मच्छरों के काटने से मलेरिया के पैरासाइट्स यानी परजीवी इंसान के शरीर में प्रवेश करते हैं. इस बीमारी से हर साल दुनिया भर में छह लाख लोगों की मौत होती है, जिनमें अधिकतर बच्चे होते हैं.

मच्छरों में मलेरिया के परजीवियों को ख़त्म करने के बजाय पेस्टिसाइड्स यानी कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है.

लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने ऐसी दो दवाएं खोजी हैं जो मच्छरों को ही मलेरिया परजीवियों से मुक्त कर सकती हैं. साथ ही मच्छरदानियों पर इन दोनों दवाओं के मिश्रण का कोट चढ़ाने का एक दीर्घकालिक लक्ष्य रखा गया है.

केमिकल प्रतिरोधी हो चुके मच्छरों का इलाज

मलेरिया से बचने का सबसे कारगर उपाय है मच्छरदानी का इस्तेमाल. रात में ही मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से यह बचाता है.

हाई रिस्क मलेरिया वाले इलाक़ों में रह रहे बच्चों को बचाने के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल का भी सुझाव दिया जाता है.

कुछ मच्छरदानियों पर इनसेक्टिसाइड भी लगाए जाते हैं जो मच्छरों को मार देते हैं.

लेकिन कई देशों में इन इनसेक्टिसाइड से मच्छर रेज़िस्टेंट हो चुके हैं और केमिकल अब पहले की तरह उतने असरदार नहीं रह गए हैं.

हार्वर्ड की रिसर्चर डॉ. एलेक्जेंड्रा प्रोबस्ट कहती हैं, "इससे पहले हमने मच्छरों में सीधे परजीवियों को मारने की कोई कोशिश नहीं की थी क्योंकि हम बस मच्छरों को ही मार रहे थे."

हालांकि वह कहती हैं कि वो नज़रिया 'अब काम नहीं कर रहा.'

मच्छरों पर दवा के प्रयोग से पहले शोधकर्ता इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि मलेरिया के डीएनए में संभावित कमज़ोर पक्ष क्या हो सकते हैं.

ट्रायल पूरा होने में कितना समय लगेगा?

सही दवा खोजने के लिए शोधकर्ताओं ने संभावित दवाइयों की एक लंबी सूची बनाई और उनमें से 22 को चुना. इसके बाद उन मादा मच्छरों पर इनका ट्रायल किया गया जिनमें मलेरिया के परजीवी थे.

साइंस मैग्ज़ीन 'नेचर' में प्रकाशित इस शोध में वैज्ञानिकों ने दो सबसे कारगर दवाओं का ज़िक्र किया है जिनसे परजीवियों को 100 फ़ीसदी ख़त्म किया गया था.

इन दवाओं को मच्छरदानी जैसी चीजों पर आजमाया गया.

डॉ. प्रोबस्ट ने बताया, "मच्छर अगर नेट से संपर्क में आने के बाद बच जाते हैं तो भी उनके अंदर के परजीवी मर जाते हैं और इसीलिए ये मच्छर आगे मलेरिया नहीं फैला पाते."

उन्होंने इस नज़रिये को अनोखा बताया जिसमें मच्छरों को मारने की बजाय परजीवी को निशाना बनाया जाता है.

उनका कहना है कि मलेरिया के परजीवियों में दवाओं के प्रति रेज़िस्टेंट होने की कम संभावना है क्योंकि हर संक्रमित व्यक्ति में ये अरबों की संख्या में हो सकते हैं जबकि हर मच्छर में इनकी संख्या पांच से भी कम होती है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि मच्छरदानी पर इस दवा का असर कम से कम एक साल तक रहता है, जोकि इसे केमिकल के मुकाबले सस्ता और लंबे समय तक काम करने वाला विकल्प बनाता है.

समस्या को हल करने का यह नज़रिया लैब में कारगर साबित हो चुका है. इसके अगले चरण का प्रयोग इथियोपिया में तय किया गया है ये जानने के लिए कि क्या वाक़ई मलेरिया-रोधी मच्छरदानी कारगर हैं.

यह कितना कारगर है इसे लेकर होने वाली स्टडीज़ के पूरा होने में कम से कम छह साल लगेंगे.

लेकिन मच्छरदानियों पर मलेरिया रोधी दवाएं और इनसेक्टिसाइड दोनों के इस्तेमाल करने का नज़रिया अपनाया जाएगा ताकि दोनों में से कोई एक तरीक़ा काम करे. (bbc.com/hindi)

(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)


अन्य पोस्ट