अंतरराष्ट्रीय

सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद ने सीरिया छोड़ने के बाद पहली बार बयान जारी किया है.
उन्होंने अपने बयान में लिखा है कि "जैसे-जैसे आतंकवाद सीरिया में फैलता गया और आख़िरकार शनिवार 7 दिसंबर 2024 की शाम दमिश्क तक पहुंच गया. इसके बाद राष्ट्रपति के भाग्य और ठिकाने के बारे में सवाल उठने लगे. ये ऐसे समय में हुआ जब झूठी ख़बरों और सच्चाई से बहुत दूर कई नैरेटिव की बाढ़ आ गई थी, जिसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को सीरिया के लिए क्रांति के रूप में पेश करना था."
"देश के इतिहास के ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर, जहां सच को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, उसके लिए इन ग़लत बयानबाज़ियों के बारे में बात करना ज़रूरी हो गया है. दुर्भाग्य से, उस समय की मौजूदा परिस्थितियों में सुरक्षा कारणों की वजह से संचार को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, जिसके कारण इस बयान को जारी करने में देरी हुई है."
उन्होंने कहा, "मेरे सीरिया छोड़ने को लेकर कोई योजना नहीं बनाई गई थी और न ही ये लड़ाई के अंतिम घंटों के दौरान हुआ, जैसा कि कुछ लोगों ने दावा किया है. इसके विपरीत, मैं दमिश्क में ही था और रविवार 8 दिसंबर 2024 की सुबह अपनी ड्यूटी कर रहा था. जैसे ही आतंकवादी बलों ने दमिश्क में घुसपैठ की, मैं लताकिया चला गया ताकि मैं वहां से रूसी सहयोगियों के साथ युद्ध अभियान को देख सकूं."
उन्होंने ये भी बताया कि हमिमीम एयरबेस में रूसी सैन्य ठिकानों पर तेज़ी से ड्रोन के हमले होने के बाद रूस ने उन्हें हवाई मार्ग से मॉस्को ले जाने का फ़ैसला किया.
8 दिसंबर 2024 को विद्रोहियों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में घुसने के बाद सीरिया की आज़ादी की घोषणा कर दी थी. (bbc.com/hindi)