अंतरराष्ट्रीय
तुर्की, 14 अक्टूबर । तुर्की की संसद में नए मीडिया क़ानून को मंज़ूरी दी गई है जो पहले से ज़्यादा सख़्त है. इसके तहत फ़ेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले रिपोर्टर्स और सोशल मीडिया यूजर्स को तीन साल तक की सज़ा हो सकती है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक तुर्की में आठ महीने बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ये नया क़ानून लाया गया है.
इस क़ानून में 40 संशोधन किए गए और हर संशोधन पर अलग-अलग वोट लिया गया. ये प्रस्ताव राष्ट्रपति रेचेप तैयप्प अर्दोआन की एकेपी पार्टी ने पेश किया था जिसका मुख्य विपक्षी समूहों ने विरोध किया.
इस क़ानून के तहत सोशल नेटवर्क्स और इंटरनेट साइट्स को फ़र्जी जानकारी देने वाले यूजर्स की निजी जानकारियां देना ज़रूरी होगा.
कोर्ट फ़ेक न्यूज़ के लिए दोषी पाए गए प्रमाणित रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया यूजर्स को भी एक से तीन साल की सज़ा सुना सकता है.
सरकार ने एक साप्ताहिक ''डिसइन्फॉर्मेशन बुलेटिन'' प्रकाशित करना भी शुरू किया है जिसमें फर्जी ख़बरों की जानकारी दी जाएगी.
इस बदलाव को लेकर यूरोप राइट्स ग्रुप की काउंसिल ने कहा है कि 'डिसइन्फॉर्मेशन' की अस्पष्ट परिभाषा और जेल की धमकी सेल्फ-सेंसरशिप को बढ़ावा देगा, खासतौर पर जून 2023 में आने वाले चुनावों को देखते हुए. (bbc.com/hindi)