गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 3 दिसंबर। नगर के गांधी मैदान में देवांगन परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा का दूसरा दिवस भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर रहा। हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने संत श्री इंद्रदेव जी महाराज का दिव्य प्रवचन का श्रवण किया। महराज जी ने शिव महापुराण का मूल परिचय, शिवलिंग स्थापना की महिमा, भस्म एवं रुद्राक्ष धारण की विधि और उनके आध्यात्मिक महत्व को सरल व भावपूर्ण शैली में समझाया।
श्री इंद्रदेव ने कहा कि जैसे पानी पर्वत की चोटी पर टिकता नहीं, बल्कि नीचे की ओर प्रवाहित हो जाता है, उसी प्रकार अहंकार से भरे व्यक्ति के भीतर भगवान की ज्ञान-कथा भी स्थिर नहीं होती। उन्होंने कहा जिसने झुकना सीख लिया, समझ लो उसने सब कुछ जीत लिया, अकड़ तो मुर्दों की पहचान है। जिसका अभिमान समाप्त, उसका कल्याण निश्चित है।
कथा के दौरान संत श्री इंद्रदेव जी महाराज ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक महानता का वर्णन करते हुए कहा कि यदि राजा दशरथ का ससुराल छत्तीसगढ़ में न होता, तो भगवान श्रीराम का ननिहाल भी यहां न होता। कौशल प्रदेश के रूप में यह भूमि सदियों से सरल, शांत और संस्कारी लोगों की धरा रही है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की परम्पराएं और संस्कृति अमूल्य धरोहर हैं, जिनकी रक्षा प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यह विशाल कथा पंडाल संस्कृति एवं परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से लगाया गया है ताकि समाज में पवित्रता, दिव्यता और नवीनता का संचार हो। कथा के समापन में गजब कर डाला मेरे भोले ने, सारी दुनिया में चंदा का उजालाज् भजन ने पूरे पंडाल को भक्तिमय उल्लास से भर दिया। महराज श्री की स्वर–लय और भावपूर्ण प्रस्तुति से श्रोता झूम उठे और पूरा वातावरण शिवमय हो गया। कथा के दौरान छत्तीसगढ़ के प्रथम पंचायत मंत्री रहे पंडित अमितेश शुक्ल एवं जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने भी पंडाल पहुंचकर महराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।


