गरियाबंद

एक माह तक चली आस्था की अविरल धारा
01-Dec-2025 3:06 PM
एक माह तक चली आस्था की अविरल धारा

सांवरिया सेठ कथा के साथ शताब्दी महोत्सव का भव्य समापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा-राजिम, 1 दिसंबर। नगर के धार्मिक इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ते हुए सेठ रेखराज चतुर्भुज अग्रवाल परिवार द्वारा समर्पित राधाकृष्ण मंदिर के शताब्दी महोत्सव का भव्य समापन शनिवार को सांवरिया सेठ की सत्य कथा और नानी बाई रो मायरा के साथ हुआ। यह पूरा आयोजन लगभग एक माह तक चला, जिसने पूरे नगर और अंचल को भक्ति, आस्था, संस्कृति और धार्मिक उल्लास से सराबोर कर दिया।

28 नवंबर से प्रारंभ हुआ इस दिव्य कथा का वाचन वृंदावन से पधारी पूज्य दीदी राधा किशोरी ने अपनी संपूर्ण नृत्य-मंडली के साथ किया। विशेष उल्लेखनीय यह कि वर्ष 2015 में भी महज 12 वर्ष की आयु में उन्हीं के श्रीमुख से इसी मंदिर प्रांगण में नानी बाई का मायरा आयोजित हुआ था।

धर्म, भक्ति और संस्कृति  का अद्भुत संगम

शताब्दी महोत्सव के दौरान नगर को धार्मिक रंग में रंग देने वाले अनगिनत आयोजन हुए भजन-संकीर्तन, विशाल विष्णु महायज्ञ, शोभायात्रा, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और नगर भोज ने पूरे क्षेत्र को दिव्यता से भर दिया। आयोजक समिति ने बताया कि काशी-बनारस तथा आसपास के प्रतिष्ठित विद्वान ब्राह्मणों द्वारा अत्यंत पवित्रता के साथ मंत्रोच्चार के बीच विशेष विष्णु महायज्ञ संपन्न हुआ। नयन निधि अग्रवाल और प्रतीक पूजा अग्रवाल ने शुद्ध घी से आहुतियां अर्पित कर यज्ञ को सफल बनाया। यज्ञ के सुगंधित धुएं से वातावरण में छाई सकारात्मकता पूरे अंचल के सुख-समृद्धि का संदेश दे रही थी।

 

भव्य सजावट से चकाचौंध हुआ मंदिर परिसर

राधा कृष्ण मंदिर को आकर्षक फूल बंगला से सजाया गया। कोलकाता के कलाकारों ने विभिन्न पुष्पों से ऐसा दिव्य श्रृंगार किया कि श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे। प्रत्येक मूर्ति में अलौकिक तेज झलक रहा था, विशेषकर श्रीराधा कृष्ण की प्रतिमा दर्शकों का मन मोह ले रही थी। हनुमानजी को 74 सवामणी भोग तथा भक्तों द्वारा लगाए गए खंड-खंड 56 भोग आयोजन की विशेष आकर्षण रहे।

शोभायात्रा ने रचा नया इतिहास

नगर के इतिहास की सबसे भव्य कलश यात्रा ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। लगभग 5 से 6 हजार महिलाओं की सहभागिता इस यात्रा को ‘कुंभ के रैले’ जैसा विराट स्वरूप दे रही थी। पीली साडिय़ों में सुसज्जित माताएं-बहनें सिर पर कलश धारण कर चलीं तो दृश्य अद्भुत और दिव्य हो उठा। सात सफेद घोड़ों के साथ ध्वज वाहक दल, चुनरी प्रिंट में सजी समितियों की टोली, राउत नाचा, शिव तांडव, अघोरी नृत्य, उड़ीसा की ढोल-मंजीरा टीम और बस्तर का मुरिया नृत्य इस यात्रा को अविस्मरणीय बना गए। राधा किशोरी का रथ, राधाकृष्ण और शिव-पार्वती की झांकियां पूरे नगर में आध्यात्मिक उल्लास का वातावरण निर्मित कर रही थीं। नगर के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा व 1 माह तक चलने वाला यह आयोजन बहुत सारी यादें छोड़ गया। जैसे ही यह आयोजन समापन हुवा हर उस भक्त की आंखे नम कर गया जो इस आयोजन में निस्वार्थ भाव से सेवा में लगा था। माता-बहनों के अलावा सभी भक्तों के आंखों में आंसू थे। इस आयोजन में देश के हर कोने से भक्तगण पधारे थे। आयोजन को सफल बनाने में मंदिर ट्रस्ट समिति के संरक्षक मोहनलाल अग्रवाल, सचिव अभिषेक अग्रवाल तथा सदस्य गोपाल अग्रवाल, गिरधारी अग्रवाल, नयन अग्रवाल, शरद शुक्ला और डॉ. टी.एन. रमेश समेत पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष विजय गोयल, सालासार सुंदरकांड समिति के राजू काबरा व सभी सदस्य प्रमुख रूप से लगे हुए थे।


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