गरियाबंद

अस्थायी कुंड में मूर्ति विसर्जन
13-Sep-2024 4:24 PM
अस्थायी कुंड में मूर्ति विसर्जन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 13 सितंबर।
जलीय जीव-जंतुओं की सुरक्षा एवं जल प्रदूषण की स्थिति नियंत्रण के लिए राज्य शासन द्वारा नये निर्देश जारी किय गए है। 
गणेश एवं दुर्गा उत्सव पर्व के दौरान जल स्त्रोतों को प्रदूषण से बचाने तथा मूर्तियों के विसर्जन से पर्यावरण पर पडऩे वाले विपरित प्रभावों के रोकथाम के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संशोधित गाईड लाईन जारी की गई है। इसके तहत नदी और तालाब में मूर्ति विसर्जन के लिए विसर्जन पौंड, बन्ड या अस्थाई कुंड का निर्माण किया जाकर मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। साथ ही पूजा सामग्री जैसे फूल, वस्त्र, कागज एवं प्लास्टिक से बनी सजावट की वस्तुएँ इत्यादि मूर्ति विसर्जन के पूर्व अलग कर इसका उचित तरीके से अपवहन किया जाएगा। जिससे नदी या तालाब में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रित हो सकें।  सभी प्रमुख शहरों में पृथक से आवश्यक सुविधा के साथ विसर्जन कुंड एवं पहुँच मार्ग बनाने हेतु व्यवस्था किया जाएगा। 

कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशानुसार एवं एनजीटी के गाईड लाईन के तहत मूर्ति विसर्जन के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश सभी सीएमओ एवं जनपद सीईओ को दिये है। साथ ही दिशा निर्देशों का अनिवार्यत: पालन भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। 

जारी निर्देशानुसार मर्ति विसर्जन उपरांत वेस्ट मटेरियल, पूजा सामग्री, फूल कपड़े, प्लास्टिक पेपर, आदि को सुरक्षित एकत्र कर पुर्नउपयोग एवं कम्पोस्टिंग आदि में उपयोग किया जा सकता है। वेस्ट मटेरियल विसर्जन स्थल पर जलाना प्रतिबंधित है। 

मूर्ति विसर्जन स्थल पर पर्याप्त घेराबंदी व सुरक्षा की व्यवस्था सूनिश्चित करने तथा पूर्व से ही चिन्हांकित विसर्जन स्थल पर नीचे सिंथेटिक लाईनर की व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये है। विसर्जन के उपरांत उक्त लाईनर को विसर्जन स्थल से हटाकर मूर्ति विसर्जन के पश्चात् उसका अवशेष बाहर निकाला जा सकेगा। बांस, लकडिय़ां पुर्नउपयोग करने एवं मिट्टी को भू-भराव इत्यादि में उपयोग करने के भी निर्देश दिये गये है। मूर्ति निर्माताओं को मूर्ति निर्माण हेतु लाईसेंस प्रदान करते समय मान्य एवं अमान्य तत्वों की सूची प्रदान करने को भी कहा गया है। यह सुनिश्चित की जाएगी कि मूर्तियां केवल प्राकृतिक, जैव अपघटनीय, ईको फ्रेंडली, कच्चे माल से ही बनाई जाए। 

मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस, प्लास्टिक, थर्मोकोल और बैक्ट क्ले का उपयोग न किया जाएं। 
मूर्ति के सजावट हेतु सूखे फूल संघटकों आदि का और प्राकृतिक रेजिन का इस्तेमाल किया जाये एवं मूर्ति की ऊँचाई कम से कम रखी जाये। मूर्ति विसर्जन के लिए दिशा निर्देशों को संशोधित करते हुए यह सुझाव दिया है कि कारीगरों में पीओपी के स्थान पर प्राकृतिक मिट्टी के उपयोग के लिए जागरूकता प्रसार किया जाए। मूर्ति विसर्जन के लिए संशोधित दिशा निर्देशों से संबंधित नियामक प्राधिकरणों को इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति अथवा किसी विशेषज्ञ संस्थान के माध्यम से प्रशिक्षण आयोजित किया जाए।
 


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