संपादकीय
दुनिया में किसी को बेदिमाग कहना भी उसका एक किस्म से अपमान होता है, क्योंकि दिमाग तो सबके पास रहता है, फिर भी जिनमें बुद्धि की बड़ी कमी दिखती है, उन्हें बोलचाल में बेदिमाग कह दिया जाता है। फिर जो अपनी बुद्धि का बेजा इस्तेमाल ही करते हैं, उन्हें बददिमाग कह दिया जाता है। इससे परे कुछ लोग जो सनक में आकर कोई भी उटपटांग बात करते हैं, गलत-सलत फैसला ले लेते हैं, उन्हें सनकी कहा जाता है। ऐसे करीब डेढ़ सौ अलग-अलग विशेषणों को जोडक़र ही ट्रंप का परिचय दिया जा सकता है। कहने के लिए यह आदमी दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर ओहदे पर बैठा है, लेकिन यह पूरी तरह से तानाशाह हो चुका है, और इसने सबसे पहले तो अमरीकी लोकतंत्र को हरा दिया है। डोनल्ड ट्रंप ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव को हारने के बाद जिस कबीलाई अंदाज में अपने समर्थकों को अमरीकी संसद पर हमला करने के लिए भडक़ाया था, उसके मामले-मुकदमे तो अमरीकी अदालतों में चल ही रहे हैं। इस आदमी की बदचलनी के मुकदमे भी अदालत में साबित हो चुके हैं, और यह बहुत ही उटपटांग किस्म का लोकतंत्र है कि ट्रंप के कुसूरवार साबित होने के बावजूद उसे कोई सजा नहीं हुई है। वह टैक्स चोरी के मामलों से घिरा हुआ है, बदजुबानी की उसकी मिसालें तरह-तरह की रिकॉर्डिंग में घूमती ही रहती हैं। आज की दुनिया में बद से शुरू होने वाले सबसे अधिक शब्द अगर किसी एक आदमी (इंसान लिखने से हम परहेज कर रहे हैं क्योंकि उसके साथ कुछ किस्म के मानवीय गुणों के जुड़े होने की उम्मीद जुड़ी रहती है) पर लागू होते हैं, तो वह डोनल्ड ट्रंप हैं। आप इंटरनेट, या एआई पर बद से शुरू होने वाले शब्दों को ढूंढें, तो उस फेहरिस्त से आपको ट्रंप की पूरी तस्वीर मिल पाएगी।
फिलहाल पिछले दो दिनों में इस कमीने इंसान ने कई किस्म की घटिया बातें कही हैं। अमरीका में नफरत फैलाने वाले एक संकीर्णतावादी प्रचारक, के कत्ल को उसने बिना किसी बुनियाद के अपने विरोधियों से जोडक़र उनको कातिल साबित करने की कोशिश की है। लेकिन यह तो कम घटिया हरकत थी, कल जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में ट्रंप को 15 मिनट बोलने का मौका मिला, तो उसने 56 मिनट से अधिक बकवास की। पूरी तरह से बेमौके, बेबुनियाद आरोप लगाते हुए उसने दुनिया के तमाम देशों की मौजूदगी में ब्रिटेन की राजधानी लंदन के मुस्लिम मेयर सादिक खान पर हमला किया। एक ब्रिटिश शहर के मेयर से दुनिया के तमाम देशों का क्या लेना-देना था? लेकिन ट्रंप अपनी नफरत और अपनी हमलावर जुबान का यह कातिल मेल मानो डॉक्टरी सलाह पर दिन में चार बार अपने मुंह से निकालता है, और राजनीतिक विश्लेषक हर दिन यह सोचते रह जाते हैं कि इन चारों में से सबसे अधिक घटिया कौन सी बात थी। ट्रंप ने योरप में प्रवासियों के संकट पर कहा- मैं लंदन को देखता हूं जहां एक बेहद खराब मेयर है, एक बहुत ही खराब मेयर। वे लंदन को शरिया कानून की ओर ले जाना चाहता है और वह एक अलग देश बन गया है।
अभी पिछले हफ्ते ट्रंप ब्रिटेन के दौरे पर था, और उसने सार्वजनिक रूप से कहा था कि लंदन का मेयर सादिक खान दुनिया के सबसे खराब मेयर में से है, और मैंने उनसे वहां मेरे स्वागत में न आने के लिए कहा है। मुझे लगता है कि वे आना चाहते थे लेकिन मैं नहीं चाहता कि वे आएं। सादिक खान लंदन के पहले मुस्लिम मेयर हैं, और उनके ऑफिस में ट्रंप के शरिया कानून वाले बयान के जवाब में कहा है- हम उनके (ट्रंप के) नफरत से भरे और दकियानूसी सोच वाले बयानों को जवाब देकर अहमियत देना नहीं चाहते। लंदन दुनिया का सबसे बेहतरीन शहर है जो प्रमुख अमरीकी शहरों की तुलना में अधिक सुरक्षित है। हमें खुशी है कि अमरीकी नागरिक रिकॉर्ड संख्या में लंदन में बसने आ रहे हैं। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री वेस स्ट्रीटिंग ने सोशल मीडिया पर लिखा- सादिक खान लंदन में शरिया कानून लागू करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। वे ऐसे मेयर हैं जो (समलैंगिकों, और एलजीबीटीक्यू की) प्राइड मार्च में शामिल होते हैं, जो अलग-अलग पृष्ठभूमि और विचारों के लिए खड़े होते हैं, जो हमारे शहर को बेहतर बना रहे हैं, और हमें गर्व है कि वे हमारे मेयर हैं।
किसी देश की राजधानी में पहुंचने वाला दूसरे देश का राष्ट्रपति उस राजधानी के मेयर को लेकर इस तरह की घटिया और गंदी, नफरती और हिंसक बातें करे, और खुलकर यह कहे कि वह नहीं चाहता कि (उस शहर का प्रथम नागरिक) मेयर उसके स्वागत भोज में आए। पिछली आधी सदी की हमारी अंतरराष्ट्रीय मामलों की समझ और याददाश्त में ऐसा घटिया और कोई बयान दुनिया के किसी तानाशाह ने भी नहीं दिया, लेकिन गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को इस गंदे आदमी का कार्यकाल पूरा होने पर यह तय करने के लिए एआई की मदद लेनी होगी कि उसका सबसे घटिया बयान कौन सा था।
लेकिन दूसरे देशों के साथ ट्रंप जो कर रहा है, वह उसके अपने देश के साथ कुछ अधिक हद तक हो रहा है। हम किसी टोने-टोटके पर भरोसा नहीं करते, लेकिन यह मानते हैं कि लोगों के अच्छे और बुरे काम लौटकर उनके पास जरूर आते हैं, चक्रवृद्धि ब्याज सहित। अमरीकी वोटरों ने जिस तरह इस घटिया आदमी को चुना था, उसके दाम आज हर अमरीकी चुका रहे हैं। अमरीका में लोकतंत्र को तबाह करके ऐसा बना दिया गया है जैसाकि वह फिलिस्तीन के गाजा की इमारतें हों। लोकतंत्र के इस मलबे पर खड़े रहकर यह बददिमाग आदमी (इंसान लिखना ठीक नहीं है) जिस तरह अमरीका की हर परंपरा को खत्म कर रहा है, वहां की अर्थव्यवस्था को खत्म कर रहा है, दुनिया भर में अमरीका के पिछली आधी सदी में कमाए गए दोस्तों को खत्म कर रहा है, अमरीकी साख को खत्म कर चुका है, दुनिया में सामाजिक सरोकार की अपनी जिम्मेदारी को इस माफियानुमा कारोबारी ने गटर में बहा दिया है, इन सब बातों को देखकर लगता है कि गाजा में आधे लाख से अधिक जो बेकसूर औरत-बच्चे इजराइली हमलों में, अमरीकी बमों से मारे गए हैं, उन सबकी सामूहिक बद्दुआ अमरीका को लग रही है, और अमरीका आज अपने इतिहास के सबसे अस्थिर दौर से गुजर रहा है, तबाही की तरफ बढ़ रहा है। जहां तक भारत के लिए ट्रंप के रुख की बात है, तो यह आदमी अब तक 35-40 बार यह झूठ बोल चुका है कि उसने भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाई है। ये दोनों ही देश इस बात का खंडन कर चुके हैं, लेकिन बेशर्म ट्रंप की जुबान बंद होने का नाम नहीं लेती है, और इस झूठ के सहारे वह नोबल शांति पुरस्कार की सीढ़ी चढऩे की कोशिश कर रहा है, खुलकर कई बार यह बोल चुका है कि वह यह पुरस्कार चाहता है। अमरीकी इतिहास का यह सबसे घटिया राष्ट्रपति जिस अंदाज में हर दिन हजार-पांच सौ बेकसूर फिलिस्तीनियों का कत्ल करवा रहा है, उसके बाद भी उसे नोबल शांति पुरस्कार पाने की हसरत है, यह बात हैरान करती है।
कल ट्रंप ने अमरीका के भीतर यह दावा किया कि जो बहुत ही आम दर्द निवारक दवा पैरासिटामॉल है, उसके गर्भवती महिलाओं के इस्तेमाल से उनके होने वाले बच्चों को एक गंभीर बीमारी, ऑटिज्म का खतरा रहता है। कल के कल विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमरीकी डॉक्टरों के एसोसिएशन, और भारतीय डॉक्टरों ने कहा है कि यह सबसे सुरक्षित दवा है, और ट्रंप एक पूरी तरह से अवैजानिक बात कह रहे हैं। घर-घर में इस्तेमाल होने वाली इस दवा को लेकर दहशत फैलाने का ट्रंप का यही गैरजिम्मेदारी का अंदाज कोरोना वैक्सीन के समय भी था, और ट्रंप समर्थकों में से बहुत से लोग वैक्सीन के खिलाफ अभियान चला रहे थे। इस आदमी की गैरजिम्मेदार सोच की एक बड़ी मिसाल यह है कि कोरोना वैक्सीन के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने वाले रॉबर्ट कैनेडी जूनियर को ट्रंप ने अपना स्वास्थ्य मंत्री बनाया है। जो व्यक्ति कोरोना के दौर में अमरीकियों की सेहत पर अपनी गैरजिम्मेदार बयानबाजी से सबसे बड़ा खतरा खड़ा कर चुका था, वह ट्रंप का स्वास्थ्य मंत्री है।
कुल मिलाकर इस आदमी के बारे में लिखना न चाहते हुए भी हर कुछ दिनों में इसके इतने सारे हिंसक बयान इक_े हो जाते हैं कि उन पर लिखना पड़ता है। आज दुनिया के समझदार देश, और उन देशों के समझदार नेता बदजुबान ट्रंप के साथ किसी तरह की मुंहजोरी में नहीं उलझ रहे हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि यह बद्तमीज कब क्या बैठेगा इसका ठिकाना नहीं है। दुनिया का यह गब्बर रामगढ़ नाम की दुनिया में कब किसे क्या कहेगा, किसके सिर में गोलियां उतार देगा, इसका ठिकाना तो है नहीं, यह कहते हुए हम गब्बर नाम का किरदार गढऩे वाले सलीम-जावेद से माफी भी चाहते हैं।
अभी ट्रंप के कार्यकाल को करीब साढ़े तीन बरस बचे हैं, दुनिया में इस ट्रंपकालीन अमरीका के खिलाफ तरह-तरह के छोटे-बड़े समूह बनने जरूरी हैं ताकि अमरीकी गुंडागर्दी का ठीक से जवाब दिया जा सके। भारत के चीन और रूस दोनों के साथ तालमेल के बाद ट्रंप का मिजाज कभी जमीन पर आ टिकता है तो कभी उसकी बददिमागी आसमान पर पहुंच जाती है। भारत, सहित दुनिया के तमाम देशों को इस अस्थिर दिमाग वाले मवाली से दूर और सावधान रहना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)


