दुर्ग

कीटनाशक के छिडक़ाव से सूखने लगी 35 एकड़ में लगी फसल
02-Oct-2024 2:44 PM
कीटनाशक के छिडक़ाव से सूखने लगी 35 एकड़ में लगी फसल

 किसान ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, निर्माता कंपनी पर कार्रवाई व मुआवजा देने लगाई गुहार 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 2 अक्टूबर।
किसान अपने फसलों की सुरक्षा के लिए कीटनाशक का उपयोग करते हैं मगर जिले एक किसान द्वारा कीटनाशक का छिडक़ाव करने पर उनके 35 एकड़ में लगी फसल के पौधे सूखने लगे। प्रभावित किसान की माने तो इसकी वजह से उनके खेत में लगी 70 से 80  प्रतिशत फसल  खराब हो गए हैं। 

पीडि़त किसान ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर निर्माता कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने व मुआवजा देने की गुहार लगाई है। शिकायतकर्ता ग्राम रूदा निवासी कृषक नंदकुमार साहू पिता स्व. गंभीर साहू रूदा आलबरस का कहना है कि वे  लगभग 35 एकड़ धान की खेती करते हैं। इसमें लगी फसल में बीमारियों से बचाव /जतन हेतु जैसे सडऩ गलन, ब्लाइट ब्लास्ट एवं तनाछेदक कीट की रोकथाम एवं बचाव के लिए आईपीएल कंपनी द्वारा निर्मित उत्पाद प्रोफेनोफास 40त्न + सायपरमेथ्रीन 4त्न, वलीडामायसिन 3त्न एवं हेक्साकोनाजोल 5त्न दवाओं का अपने धान की फसलों पर छिडक़ाव करवाने के एक सप्ताह उपरांत फसल के तने एवं पत्ते सूखने लगे, जिसके कारण फसल पैरा बनकर जलने एवं सूखने की स्थित्ति में बदल गई।

उनका कहना है कि उन्होंने उपरोक्त दवाईयों की खरीदी देव एग्रो कृषि केंद्र के सह संचालक पवन कुमार मिश्रा से की थी, जिनसे उन्हें कोई शिकायत नहीं है। फसल खराब होने की स्थिति में उन्होंने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से इसकी शिकायत की है। इस पर गठित जांच टीम द्वारा यह पाया गया है कि उक्त कंपनी के रासायनिक दवा के विपरीत प्रभाव के कारण फसल को बहुत ही नुकसान हुआ है। वहीं गठित जांच टीम द्वारा नजरी आंकलन के अनुसार लगभग 70-80 प्रतिशत तक फसल खराब हुआ है। श्री साहू का कहना है कि निर्माता कंपनी के ऊपर उचित कार्रवाई की जाए। साथ ही उनके उत्पादों द्वारा हुए नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें उचित मुआवजा दिलाई जाए। विक्रेता पवन मिश्रा का कहना है कि उक्त कंपनी की दवाई 5 सालों से बेच रहे कभी शिकायत नहीं आई। इस साल अलग अलग जगहों से शिकायत आ रही है।  उपसंचालक कृषि संदीप कुमार का कहना है कि प्रभावित किसान ने बोला है कि उक्त कंपनी के कीटनाशक की छिडक़ाव के कारण फसल खराब हुआ है। कृषि विज्ञान केन्द्र से परिणाम प्राप्त नहीं हो जाते तब तक कुछ नहीं कह सकते। उक्त बैच की इस दवाई का उपयोग में सावधानी बरतने विभाग के मैदानी अमले व कृषकों को सलाह दी गई है। जब तक इसके सेंपल जांच में इसके अमानक होने की रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इसके विक्रय पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते।


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