धमतरी

औषधीय गुणों से भरे ब्लैक राइस की खेती की ओर किसानों का बढ़ रहा रूझान
04-Feb-2021 5:18 PM
औषधीय गुणों से भरे ब्लैक राइस की खेती की ओर किसानों का बढ़ रहा रूझान

आत्मा योजना के तहत पहली बार 2017-18 में लगाई गई प्रदर्शनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 4 फरवरी। हम अक्सर चावल को सफेद रंग में देखते और खाते आ रहे हैं। अगर काले रंग का चावल कहीं मिले तो चैंकिए मत। अब धमतरी जिले के किसान भी इसे उगा रहे हैं। औषधीय  गुणों से लबरेज जैविक पद्धति से तैयार किए जाने वाले इस चावल को प्रदेश में सबसे पहले धमतरी जिले के परसवानी निवासी उत्कृष्ट किसान गजेन्द्र चन्द्राकर ने असम से मंगाकर उसके बीज को राज्यभर में फैलाया। वर्ष 2017-18 में पहली बार आत्मा योजना के तहत कुरूद के हतबंध में 15 एकड़ में ब्लैक राइस की प्रदर्शनी लगाई गई।

गौरतलब है कि 2018-19 में जिले में औषधीय गुणयुक्त ब्लैक राइस (कृष्णम) के अलावा महाजिंक, मधुराज 55 और लोहन्दी की आत्मा योजना के तहत कृषकों के खेतों में प्रदर्शनी लगाई गई। एक ओर जहां जैविक पद्धति से लगाई गई इन फसलों में ब्लैक राइस 70 एकड़ के क्षेत्र में बतौर प्रदर्शन लगाया गया। वहीं 35 एकड़ के क्षेत्र में मधुराज 55, महाजिंक 27 एकड़ में और 8 एकड़ में लोहन्दी (जिंक) की प्रदर्शनी किसानों के खेत में लगाई गई। किसानों ने तैयार उत्पाद को राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रदर्शनियों में ले जाकर इसे एक नई पहचान दिलाई।

इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में वर्ष 2019 को राजधानी रायपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता कृषक सम्मेलन में जिले के कुरूद स्थित ओजस्वी कृषक उत्पादक संगठन और कृषक  रामलाल भतपहरी तथा थनेन्द्र साहू ने 110 क्विंटल ब्लैक राइस का सम्मेलन में आए निर्यातक से अनुबंध किया। इसमें प्रति किलो ब्लैक राइस का दर 100 रूपए तय हुआ। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2019-20 में आत्मा योजना के तहत कृषक प्रदर्शन के तौर पर 30 एकड़ में ब्लैक राइस की फसल लगाई गई। जिले के किसानों से गुडग़ांव की एक निजी कंपनी ने ब्लैक राइस सात हजार रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा।

हाल ही में हतबंध में लाभांश वितरण का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां ब्लैक राइस की खेती कर रहे युवा कृषक अभिरूचि समूह के किसानों को उनके द्वारा बेचे गए चावल का लाभांश मिला। उन्हें प्रति क्विंटल एक हजार रूपए का लाभांश निजी कंपनी के द्वारा दिया गया। दरअसल उक्त कंपनी की योजना है कि मुनाफा होने पर किसानों को उनके द्वारा बेचे गए चावल का 33 प्रतिशत की लाभांश राशि दी जाएगी। इसके तहत समूह के कृषक थनेन्द्र साहू, केजूराम देवांगन, लोकेश साहू, हरीश साहू और राजेश डोटे को कुल तीस हजार रूपए बतौर लाभांश मिला।

 युवा कृषक अभिरूचि समूह के किसान हतबंध निवासी केजुराम देवांगन कहते हैं कि धान का कटोरा कहे जाने वाले प्रदेश में किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचते हैं। अगर यह औषधीय गुणों से भरपूर ब्लैक राइस किसान उगाने लगे तो उन्हें तीन गुणा ज्यादा मुनाफा होने की संभावना है।

उन्होंने किसानों का आह्वान किया है कि वे जैविक पद्धति से तैयार किए जाने वाले ब्लैक राइस की खेती कर अपने आय में वृद्धि करें। वहीं कृषक हरीश साहू हर्ष व्यक्त करते हंै कि जैविक पद्धति से तैयार किए गए इस फसल से आय में बढ़ोत्तरी तो होती है, साथ ही पर्यावरण को जैविक खेती से प्रदूषित करने से बचाया जा सकता है। उपभोक्ताओं को औषधीय गुण वाले ब्लैक राइस उपलब्ध कराकर उन्हें एक अलग प्रकार की आत्मीय संतुष्टि भी मिलती है।

ज्ञात हो कि ब्लैक राइस औषधीय गुणों से भरा है। इसमें सेलेनियम (एंटी कैंसर), एन्थ्रोसायनिन (एंटी एजेंट एवं एंटी ऑक्सीडेंट), जिंक, आयरन, फॉलिक एसिड, कैल्शियम और फायबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसकी वजह से यह कैन्सर, मोटापा, ब्लड प्रेशर, कुपोषण, सिकल सेल, एनीमिया मिटाने के साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में उपयोगी होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस खरीफ सीजन में जिले के लगभग सौ किसानों ने सौ एकड़ के क्षेत्र में ब्लैक राइस की फसल लगाई है। वे अब आत्मा योजना के प्रदर्शन के बजाय स्वयं ही जैविक पद्धति से तैयार की जाने वाली इस फसल को लगाने में रूचि ले रहे हंै।


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