धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 3 जून। भारतमाला परियोजना अंतर्गत रायपुर विशाखापट्टनम राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण का कार्य प्रगति पर है। अनुविभाग कुरूद अंतर्गत कुरुद, नवागांव, उमरदा में इन्टरचेन्ज-3 हेतु अतिरिक्त नया गजट प्रकाशन किया गया है। जिससे भूमाफिया की सांसें अटक गई है। पूर्व में प्रकाशित गजट में लिंक रोड के लिए करीब दो सौ किसानों को सौ करोड़ से भी अधिक मुआवजा का देना पड़ता, जिसे बदल सरकार ने अब नया रुट चिन्हित किया है। जिसमें मात्र 36 किसानों को ही मुआवजा देना होगा।
गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा छत्तीसगढ़ में में 464 किलोमीटर सिक्सलेन सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है। जिसकी शुरुआत एनएच 130 झांकी अभनपुर से हुई है। जो धमतरी जिला के कुरुद, नगरी होते हुए कांकेर, कोण्डागांव, कोरापुट ओशिा से जुड़ेगी। इस आर्थिक गलियारे में आसपास के जिलों को जोडऩे बीच बीच में लिंक रोड़ बनाने का प्रावधान एनएच अथार्टी द्वारा किया गया है। जिसके तहत सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को अधिसूचना जारी की है। जिसमें कुरुद अनुविभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सीडी के किमी 9.38 से किमी 62.35 तक के भूखण्डों को इन्टरचेंज 3 लोक प्रयोजन के लिए भूमि अर्जन की कार्यवाही की गई। सर्वेक्षण में नवागांव की 51 और कुरुद की 2 भूखण्ड को शामिल किया गया। जिसमें नहर, सडक़, नाला, तालाब, नाली को मिलाकर 10 भूखण्ड सरकारी पाये गए। शेष में नवागांव की 33 सिंचित, 7 पड़त, 1 व्यपवर्तित एवं कुरुद की 2 सिंचित भूमि शामिल हैं। इस तरह से नवागांव की 7.51 एकड़ और कुरुद की 7.61 एकड़ जमीन का मुआवजा प्रकरण तैयार किया गया है।
इस प्रस्ताव के मुताबिक एनएच कुरुद बायपास सडक़ से शुरू होकर लिंक रोड़ नवागांव उमरदा के पास बने विशाखापट्टनम सडक़ ब्रिज से जा कर मिलेगी। यहां पर इन्टरचेंज के लिए सडक़ के दोनों ओर की जमीन एक्वायर की गई है। हांलाकि कुरुद बायपास से नवागांव तक मेघा रोड की चौडाई निर्धारित मापदंड से कम बताई जा रही है। इसी एक बिन्दु पर भूमाफिया की उम्मीद टिकी हुई है। यहाँ पर यह बताना लाजमी होगा कि भारतमाला सडक़ निर्माण में में लाखों करोड़ों का मुआवजा पाने वाले खिलाडियों ने कुरुद में लिंक रोड़ बनने की खबर पाकर साल दो साल पहले ही जमीन में भारी निवेश किया था। नेता अधिकारियों से मिलीभगत कर पहले जो प्रस्ताव तैयार कराया गया था उसमें कुछ प्रभावशाली लोगों की जमीन से लिंक रोड़ को गुजरना था।
इसके लिए 35 से 40 एकड़ जमीन छोटे टुकड़ों में विभाजित कर पूरी फिल्डिंग कर ली गई थी। शासन को इस खेल की भनक लगी तो इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया। लेकिन मुआवजाजिवीयों ने हार नहीं मानी। सांठगांठ कर एक और प्लान तैयार करवाया गया, फिर भी बात नहीं बनी। बताया गया कि इस चक्कर में भूमाफियाओं को सरकार से सौ करोड़ से अधिक का मुआवजा पाने का सपना चकनाचूर हो गया। सुनने में आया है कि कुछ तकनीकी कारणों का हवाला देकर भूमाफिया अभी भी लिंक रोड के लिए नया सर्वे करवाने का प्रयास कर रहे हैं।