दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 27 दिसंबर।‘‘ब्लॉकचेन’’ आधारित भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण पहल के क्रियान्वयन में दंतेवाड़ा जिला द्वारा प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया गया है।
इस पहल के अंतर्गत पारंपरिक मैनुअल एवं कागजी प्रक्रियाओं को समाप्त करते हुए ‘‘ब्लॉकचेन’’ आधारित छेड़छाड़-रोधी डिजिटल प्रणाली लागू की गई। इसके माध्यम से भूमि अभिलेखों की सुरक्षा, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हुई है। जहां पहले भूमि संबंधी दस्तावेज प्राप्त करने में कई सप्ताह लग जाते थे, वहीं अब यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में पूरी हो रही है। ‘‘ब्लॉकचेन’’ तकनीक के उपयोग से दस्तावेजी धोखाधड़ी की संभावनाएं पूरी तरह समाप्त हो गई हैं तथा राजस्व सेवाओं के त्वरित और प्रभावी प्रदाय में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। विशेष रूप से आदिवासी एवं दूरस्थ क्षेत्रों में इस पहल ने आम नागरिकों को सरल, पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं उपलब्ध कराकर राजस्व प्रशासन के लिए एक नया मानक स्थापित किया है।
ज्ञात हो कि राज्य शासन की मंशा अनुसार आमजनों की सुविधा के दृष्टि से सभी विभागों को ई-गवर्नेंस प्रणाली के तहत बहुउद्देश्यीय बनाने के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है। इस क्रम जिले में भी भू-दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया हेतु विशेष पहल की जा रही है। पूर्व समय में लोगों को अपने भू-अभिलेख की प्रतियां जैसे स्वामित्व अभिलेख, पंजीकरण, कैडस्ट्रल मानचित्र, बी-1, फॉर्म ए, प्लॉट रजिस्टर, फॉर्म सी (अधिकारों का अभिलेख), संशोधन, नामांकन, मानचित्र अभिलेख, मानचित्र स्वामित्व अभिलेख, मानचित्र स्केच, मानचित्र पूर्णता प्रमाणपत्र, मानचित्र पुन: क्रमांक दस्तावेज, मानचित्र स्वामित्व प्रमाणपत्र, मानचित्र अंतिम सत्यापन दस्तावेज आदि प्राप्त करने में बहुत सारा वक्त, संसाधन, और ऊर्जा खपानी पड़ती थी। परन्तु अब कुछ ही क्षणों में भू अभिलेख कार्यालय अथवा किओस्क सेंटरों से लोगों को अपने भू-दस्तावेज की नकल या प्रति प्राप्त हो सकेगी।
जो दूर दराज से आने वाले ग्रामीणों के लिए बेहद राहत का सबब होगा। इसके लिए सिर्फ उन्हें अपना नाम और खसरा नम्बर, देना होगा। और उनके भू-अभिलेख से संबंधित सभी डाटा, नक्षा, स्वामित्व प्रमाण पत्र, इत्यादि सिस्टम में उल्लेखित हो जाएगें। भू-दस्तावेजों को डिजिटल प्लेटफार्म में उपलब्ध कराना राजस्व विभाग को सशक्त एवं सुव्यस्थित बनाने वाला क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल लोगों के समय और संसाधनों की बचत होगी अपितु प्रशासनिक दृष्टिकोण से विकास के लक्ष्यों को गति देने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। इसके पूर्व भूमि रिकार्ड को सुरक्षित रखना और उन्हें विनष्टीकरण से बचाना राजस्व विभाग के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है। साथ ही लोगों को अपने भू-अभिलेख प्राप्त करने हेतु आवेदन देने, उन्हें स्थापित करने जैसे विभिन्न प्रशासनिक औपचारिकताओं, नियमों के चलते कम से कम सप्ताह भर का समय लगता था। परन्तु अब इस पारदर्शी, सुरक्षित और सुविधाजनक डिजिटलाइजेशन के चलते लोग परेशानी से बचेगें। इसके अलावा भू-दस्तावेजों में अनाधिकृत फेरबदल जैसी घटनाओं की भी कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।


