बस्तर

भूमकाल स्मृति दिवस, जुटे 14 गांवों के देवी- देवता व हजारों ग्रामीण
23-Feb-2021 9:38 PM
 भूमकाल स्मृति दिवस, जुटे 14 गांवों के देवी- देवता व हजारों ग्रामीण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 23 फरवरी। बस्तर के ऐतिहासिक भूमकाल आंदोलन का 111वां स्मृति दिवस समारोह सोमवार को नेतानार के चायकूर में संपन्न हुआ। इस मौके पर 14 गांवों के देवी- देवताओं के साथ हजारों ग्रामीण एकत्र हुए और जल जंगल जमीन हमारा है, का नारा बुलंद किया तथा सामाजिक संगठन को मजबूत करने के बात दोहराई। इस मौके पर सर्व मूल निवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि बस्तर के मूल निवासियों को उनका हक मिलना ही चाहिए। यह हमारी मांग नहीं अपितु अधिकार है।

 सर्व मूल निवासी समाज द्वारा गत चार फरवरी से लगातार भूमकाल आंदोलन से जुड़े विभिन्न स्थानों में समारोह आयोजित किए गए। इसी क्रम में सोमवार को भूमकाल आंदोलन के 111वें स्मृति दिवस का समापन हुआ। इस मौके पर चितलगूर, बामनारास, किचकरास, गोपापदर, नागलसर, रंधारीरास, गेहूंपदर, एलंगनार, चचालगूर, कोलावाड़ा, मिलकुलवाड़ा के अलावा ओडिशा के मलकानगिरी क्षेत्र के ग्रामीण नेतानार के चायकूर में अपने देवी-देवताओं के साथ जुटे।

इधर आदिवासी समाज के युवकों द्वारा जगदलपुर से नेतानार तक बाईक रैली निकाली गई। रैली में शामिल युवकों, विभिन्न समाजों के पदाधिकारियों ने गुंडाधुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एकता के शपथ ली। शाम चार बजे आम सभा प्रारंभ हुई जिसमें विभिन्न समाज प्रमुखों ने अपनी बात रखी। वहीं क्षेत्र के ग्रामीणों ने अपने जंगलों को बचाने तथा बाहर के लोगों को धुरवा बेल्ट में घुसपैठ कर अतिक्रमण रोकने की शपथ ली।

कार्यक्रम के दौरान गुंडाधूर के वंशजों को सम्मानित किया गया। सभा को मुख्य तौर पर गंगाराम कश्यप, हेमंत कश्यप, महादेव नाग, धुरवा महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष श्रीमती कल्पना नाग, माहरा समाज के अध्यक्ष मंगलू राम कश्यप आदि ने संबोधित किया। समारोह के दौरान चीतापुर, बस्तर रंधारीरास आदि स्थानों से आए नर्तक दलों ने नृत्य प्रस्तुत कर अपनी परंपरा का परिचय दिया।

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