बिलासपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 जनवरी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण तय होने के साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के सभी पदों का आरक्षण पूर्ण हो गया। इस बार बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति (एससी) मुक्त वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। राजधानी रायपुर में 8 जनवरी को हुई आरक्षण प्रक्रिया में यह निर्णय लिया गया, जिससे यह तय हो गया कि 25 वर्षों बाद फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार को मिलेगा।
पहले चुनाव से अब तक अध्यक्ष पद का सफर
त्रिस्तरीय पंचायत राज प्रणाली के तहत अब तक छह बार चुनाव हो चुके हैं। पहला चुनाव 1993 में मध्यप्रदेश के समय हुआ था, जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग के लिए था। इस दौरान अंजना मुलकलवार को अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद 2000-2005 में अध्यक्ष पद एससी वर्ग के लिए आरक्षित हुआ, जिसमें चंद्रभान बारमते अध्यक्ष बने।
2005-2010 के चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए पद आरक्षित होने पर मुन्नीराम साहू अध्यक्ष बने। 2010-2015 में ओबीसी महिला वर्ग के लिए आरक्षण के तहत अंजना मुलकवार फिर से अध्यक्ष बनीं। 2015-2020 में ओबीसी पुरुष वर्ग के दीपक साहू को अध्यक्ष चुना गया। वर्तमान में 2020-2025 के कार्यकाल के लिए सामान्य वर्ग के अरुण सिंह चौहान अध्यक्ष पद पर हैं।
अध्यक्ष पद पर आरक्षण का प्रभाव
2025 के आगामी चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद एससी वर्ग के लिए आरक्षित होने से सामान्य, ओबीसी और एसटी वर्ग के इच्छुक उम्मीदवारों को झटका लगा है। कई नेता अब जिला पंचायत चुनाव लडऩे से पीछे हटने लगे हैं।
चुनाव प्रक्रिया
जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव 17 निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों के द्वारा किया जाएगा। अध्यक्ष पद के लिए आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को चुना जाएगा, जबकि उपाध्यक्ष और सभापति पद के लिए कोई आरक्षण लागू नहीं होगा।
बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण इतिहास वर्ष आरक्षण अध्यक्ष
1993-2000 सामान्य अंजना मुलकवार
2000-2005 एससी चंद्रभान बारमते
2005-2010 ओबीसी पुरुष मुन्नीराम साहू
2010-2015 ओबीसी महिला अंजना मुलकवार
2015-2020 ओबीसी पुरुष दीपक साहू
2020-2025 सामान्य अरुण सिंह चौहान