कोरबा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 26 नवंबर। खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में प्रदेश सरकार द्वारा अन्नदाताओं के मेहनत को सही मूल्य देने के लिए सार्थक प्रयास किए गए है। जिससे किसानों में अपनी उपज विक्रय करने के लिए उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ा है। सरकार द्वारा धान खरीद प्रक्रिया को बेहतर व सरल बनाने के लिए ऑनलाइन टोकन, डिजिटल पंजीकरण, खरीद केंद्रों तक सुगम पहुंच और समय पर भुगतान की व्यवस्था की गई है। किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए उनके मेहनत के हर एक दाने को सरकार द्वारा क्रय किया जा रहा है। कृषको से 21 क्विंटल प्रति एकड़ एवं 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी सुनिश्चित की गई है। साथ ही खरीदी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बनाई गई है। इस व्यवस्था से किसानों को यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य मिलेगा, जो उनके लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा।
करतला विकासखण्ड के ग्राम सोलवां के किसान शेर सिंह राठिया ने सरकार के इन प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि इससे किसानों को अपनी फसल का उचित कीमत मिल रहा है और वे आर्थिक सुदृढ़ बनेंगे। 70 वर्षीय कृषक शेर सिंह ने बताया कि उनकी कुल 4.95 एकड़ जमीन है। जहां उन्होंने अपनी अथक मेहनत से अन्न उपजाया है। इस वर्ष उनकी मेहनत खूब रंग लाई है और धान की अच्छा उत्पादन हुआ है। कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने अपनी फसल की कटाई की है। खलिहान में मिसाई और उपज की साफ सफाई के बाद उनकी धान विक्रय के लिए पूरी तरह तैयार हो गई है। इस वर्ष ऑनलाइन टोकन पंजीयन की सुविधा मिलने से उन्हें समिति में जाकर टोकन कटाने के लिए लंबी लाइन में खड़े रहने की आवश्यकता नही पड़ी। मोबाइल के जरिये ही उन्हें 52 क्विंटल धान विक्रय के लिए टोकन प्राप्त हो गया। इससे उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई।
इसी प्रकार अपने खलिहान में फसल की मिसाई कार्य में व्यस्त सुमेधा निवासी विजय कुमार कंवर ने बताया कि सरकार द्वारा 3100 रुपये क्विंटल की दर से धान खरीदी करने से छोटे किसानों को बहुत राहत मिल रही है। इससे किसानों को उनके मेहनत का वास्तविक मूल्य मिलेगा और वे आर्थिक रूप से शसक्त बनेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के समृद्धि के लिए सरकार की यह प्रयास प्रसशनीय है। विजय ने कहा कि टोकन के लिए भी ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था है। इससे किसान को और अधिक सहूलियत होगी। साथ ही शीघ्र भुगतान की भी व्यवस्था की गई है। धान खरीदी की इस प्रकार की व्यवस्थाओं से किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य सुनिश्चित हो रहा है और वे अपने उत्पादों को बिना किसी परेशानी के उपार्जन केंद्रों तक पहुंचा रहे हैं।