रायपुर
मरीज के परिजन ही बने रहते हैं वार्ड ब्वाय, आया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 नवम्बर। अंबेडकर अस्पताल में मंगलवार को हुई आगजनी के बाद वहां की व्यवस्थाओं को लेकर कई खामियां सामने आ रही हैं। अस्पताल के ही डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर इन विसंगतियों को पोस्ट किया है। डॉक्टरों के अनुसार विगत 15 वर्षों से स्टाफ की बहुत ही ज्यादा कमी है।एक स्टाफ नर्स 70 मरीजों की देखरेख करती है। जनरल वार्डों में आईसीयू में एक नर्स 10 मरीजों को देखरेख करती है। पैरामेडिकल स्टाफ, टेक्नीशियन की भी बहुत ही ज्यादा कमी है। एक टेक्नीशियन 5 से अधिक मशीन को ऑपरेट कर रहे हैं फार्मासिस्ट की भारी कमी है आया वार्ड बॉय की बहुत ही ज्यादा कमी है। मरीजों के परिजनों को बड़ी कठिनाइयों के सामना करना पड़ता है। व्हीलचेयर,ट्राली को स्वयं खींच कर जांच के लिए मरीज को ले जाते देखे जा सकते हैं। उन्हें अपने मरीज के लिए वार्ड बॉय-आया बनना पड़ता है। आईसीयू में भर्ती मरीजों कैथेटर पेशाब के बैग को मरीज के परिजन खाली करते हैं।
इनका कहना है कि अंबेडकर अस्पताल को सर्वप्रथम मैनपावर की कमी दूर करनी होगी। 1400 बिस्तर के प्रदेश के सबसे बड़े इस अस्पताल हिसाब से पैरामेडिकल स्टाफ बिल्कुल नहीं है। वर्तमान में तो 700 बिस्तर के हिसाब से भी स्टाफ नहीं है। केवल मेडिकल कॉलेज खोलने से कुछ नहीं होगा। सरकार को भर्ती करना पड़ेगा। पैरामेडिकल स्टाफ का डॉक्टर के भरोसे अस्पताल नहीं चलाया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य अधिकारियों को समझना होगा कि सपोर्ट स्टाफ के बगैर स्वास्थ्य अस्पताल के संचालन नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर करोड़ों रुपए की मशीनें खराब हो रही हैं । अस्पताल के कैंसर विभाग में पेट स्कैन मशीन प्रारंभ नहीं हो पाया।
दो वर्षों से अधिक समय से अस्पताल के फायर सेफ्टी उपकरणों की मरम्मत नहीं हुआ है। एक्सपायर सिलेंडर रखे हुए हैं।इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कितने गंभीर हैं। । फाइल लटकाने वाले अधिकारी कार्यवाही जिम्मेदारी तय करनी होगी।
पूर्व में डॉक्टरों ने अंबेडकर अस्पताल के 50 अधिक समस्याओं को लेकर चिकित्सा शिक्षा संचालक को आवेदन किया था। उसके बाद भी समस्या हल नहीं की गई।