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एनएचएमएमआई ने किया जागरूक
रायपुर, 27 नवंबर। एनएचएमएमआई ने बताया कि रुमेटोलॉजिकल रोग क्या हैं? रुमेटोलॉजिकल रोग ऐसी स्थितियाँ हैं जो न केवल जोड़ों को, बल्कि यकृत, गुर्दे, फेफड़े और हृदय जैसे आंतरिक अंगों को भी प्रभावित कर सकती हैं। ये आपकी त्वचा और आँखों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
एनएचएमएमआई ने बताया कि इनके सामान्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द और सूजन, सुबह 30 मिनट से ज़्यादा समय तक रहने वाली अकडऩ, पीठ या गर्दन में दर्द, लंबे समय तक बुखार रहना, अत्यधिक थकान या कमजोरी, त्वचा पर चकत्ते, मुँह के छाले, बालों का झडऩा, आँखों में लालिमा या दर्द, सूखी आँखें या मुँह का सूखना, त्वचा का कड़ा या सख्त होना, ठंड में उंगलियाँ नीली पड़ जाना, और मांसपेशियों में कमज़ोरी शामिल हैं। अलग-अलग बीमारियों में इन लक्षणों के अलग-अलग संयोजन होते हैं।
एनएचएमएमआई ने बताया कि ये बीमारियाँ किसे हो सकती हैं? कोई भी इससे प्रभावित हो सकता है - पुरुष, महिलाएँ, युवा, वृद्ध और यहाँ तक कि बच्चे भी। हालाँकि कई गठिया रोग महिलाओं में ज़्यादा आम हैं, लेकिन पुरुष भी इन्हें झेल सकते हैं।
एनएचएमएमआई ने बताया कि एक आम मिथक यह है कि ये समस्याएँ केवल बुढ़ापे में ही होती हैं। यह सच नहीं है। ज़्यादातर मरीज़ 15-50 साल की उम्र की युवा महिलाएँ होती हैं। बच्चे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। बच्चों में इस स्थिति को जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस कहा जाता है।
एनएचएमएमआई ने बताया कि अगर आपको ये लक्षण दिखाई दें तो आपको क्या करना चाहिए? अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो बेहतर होगा कि आप जल्द से जल्द किसी रुमेटोलॉजिस्ट से सलाह लें। जल्दी इलाज कराने से बेहतर आराम मिलता है और दीर्घकालिक जटिलताओं से बचाव होता है।


