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एनएमडीसी छत्तीसगढ़ की स्वरोजगार योजना से कोंडागांव ग्रामीण बन रहे स्वावलंबी और सक्षम
25-Dec-2024 1:40 PM
एनएमडीसी छत्तीसगढ़ की स्वरोजगार योजना से कोंडागांव ग्रामीण बन रहे स्वावलंबी और सक्षम

कोंडागांव, 25 दिसंबर। एनएमडीसी ने बताया कि भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी एनएमडीसी लिमिटेड की ओर से संचालित स्वरोजगार योजना के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की साझेदारी से शुरू हुई इस बेहद लाभकारी योजना से ग्रामीणों को स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता मिल रही है जिससे वे स्वावलंबी और सक्षम हो रहे हैं। समाज कल्याण की दिशा में इसे एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

एनएमडीसी ने बताया कि देश के सबसे पिछड़े एवं दूरदराज के इलाकों में शुमार छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र में बसा कोंडागांव लम्बे समय से बेरोजग़ारी और पलायन जैसी समस्या से जूझता रहा है। क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को देखते हुए एनएमडीसी लिमिटेड ने अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (ष्टस्क्र) के तहत इस इलाके के नौजवानों और महिलाओं को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया। कंपनी ने स्वरोजग़ार योजना के तहत क्षेत्र के युवाओं एवं महिलाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिए ज़रूरी कौशल और संसाधन मुहैया कराना आरंभ किया। 

एनएमडीसी ने बताया कि एक करोड़ के आरंभिक बजट से शुरू हुई योजना के पहले चरण में 40 लाख रुपये की पहली किश्त जारी की गयी। प्रशासन द्वारा चयनित 40 लोगों को एक-एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। उस राशि से लाभान्वितों ने डेयरी फार्मिंग, चाय की दुकान, मोबाइल रिपेयरिंग की दुकानें जैसे उद्यम आरंभ किये। नतीजा सामने है। युवक और महिलाएं अपने परिवेश से बाहर निकले बगैर घर से ही प्रतिमाह 15,000 से रु 30,000 महीना कमाने लगी हैं। एनएमडीसी के इन प्रयासों से आदिवासी बहुल इलाके में निश्चित तौर पर नई रौशनी का संचार हुआ है। 

एनएमडीसी ने बताया कि  कोंडागांव के लिए ये पहल गेम-चेंजर साबित होगी। इससे न सिर्फ क्षेत्र के लोगों को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है, बल्कि युवाओं और महिलाओं को अपनी क्षमता के मुताबिक कौशल विकास का अवसर मिल रहा है। अब वे अपनी क्षमता को बढ़ाकर तरक्की की रफ्तार में शामिल हो सकेंगे। क्षेत्र में सफलता की ऐसी कई कहानियां दिखने लगी हैं।’’ कोंडागांव के फरसगांव ब्लॉक में जुगानी कैंप गांव में रहती हैं बबीता सरकार। बहुत दिन नहीं हुए जब बबीता दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपना गुजर-बसर करती थीं। बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे। अब वे गर्व से बताती हैं कि कैसे एनएमडीसी ने उनके जीवन में बदलाव लाया।


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