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रायपुर, 29 अक्टूबर। हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने बताया कि क्रिमिनल लॉ एंड प्रैक्टिस: न्याय और एडवोकेसी का रास्ता विषय पर एक पैनल चर्चा की मेजबानी की। यह कार्यक्रम, इंटर्नशिप एंड रिक्रूटमेंट कोआर्डिनेशन कमिटी द्वारा सेंटर फॉर क्रिमिनल लॉ एंड ज्यूरिसप्रूडेंस के सहयोग से रिसर्च हब एंड स्पोक पहल के तहत आयोजित किया गया।
एचएनएलयू ने बताया कि इस प्रतिष्ठित पैनल में तीन प्रतिष्ठित विधि क्षेत्र के दिग्गज माननीय न्यायमूर्ति पी.एन. प्रकाश, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय और पूर्व न्यायाधीश, मद्रास उच्च न्यायालय; श्री राघवेंद्र एस. श्रीवत्स, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय; और श्री श्रीनिवास राव, वरिष्ठ अधिवक्ता और वरिष्ठ पार्टनर, हरनहल्ली लॉ पार्टनर्स एलएलपी, बेंगलुरु शामिल हुए।
एचएनएलयू ने बताया कि सत्र की शुरुआत डॉ. कौमुधी चल्ला, हेड, सेंटर फॉर क्रिमिनल लॉ एंड ज्यूरिसप्रूडेंस के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने कानूनी पेशेवरों के लिए बदलते परिदृश्य के साथ-साथ सरकारी क्षेत्रों और गैर सरकारी संगठनों में विधि के छात्रों के लिए उभरते अवसरों पर प्रकाश डाला। कुलपति प्रोफेसर वी.सी. विवेकानंदन ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि क्रिमिनल लॉ एक मुख्य विषय है और अब प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ लीगल प्रैक्टिस में करियर के नए रास्ते खुल रहे हैं।
एचएनएलयू ने बताया कि न्यायमूर्ति पी.एन. प्रकाश ने अपनी यात्रा बार टू बेंच एंड बैक से अमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की, जिसमें लीगल प्रैक्टिस के लिए स्थानीय भाषाओं में महारत हासिल करने और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संपूर्ण ज्ञान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सक्षम ट्रायल लॉयर की मौजूदा कमी को ध्यान में रखते हुए साइबर कानूनों सहित प्रैक्टिस के उभरते क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। श्री राघवेंद्र एस. श्रीवत्स ने हाई-प्रोफाइल मामलों में अपने व्यापक अनुभव से क्रिमिनल लॉ प्रैक्टिस की बहु-विषयक प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने पेशेवर नैतिकता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और युवा वकीलों को प्रो बोनो कार्य और विधि सहायता मामलों में संलग्न होने की वकालत की।
एचएनएलयू ने बताया कि श्री श्रीनिवास राव ने क्रिमिनल मुकदमेबाजी के बारे में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि साझा की, क्लाइंट्स के साथ पेशेवर सीमाएं बनाए रखने और जिरह की कला में महारत हासिल करने के महत्व पर जोर दिया।


