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रायपुर, 15 अक्टूबर। चरामेति फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र ओझा ने बताया कि गुजरात के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएं बोली और लिखी जाती है। घोडिय़ा भाषा दक्षिण गुजरात की एक महत्वपूर्ण भाषा है। एक प्रमुख विशेषता यह है कि ये दोनों पुस्तक केवल एक लेखक द्वारा लिखित या संपादित नहीं हैं अपितु ये दोनों पुस्तकें पति-पत्नी दोनों के द्वारा लिखी एवं संपादित की गई है।
श्री ओझा ने बताया कि प्रोफेसर डॉ. अरविंदभाई पटेल एवं प्रोफेसर डॉ. सुधाबहेन पटेल द्वारा संपादित पुस्तक घोडिय़ा लोकवार्ताओ में जहां अनेक आलेखों के साथ प्रमुख रूप से लोककथाओं का समावेश किया गया है वहीं श्री बाबुभाई मंगाभाई पटेल एवं श्रीमती सीताबेन बी. पटेल द्वारा संपादित पुस्तक अहा हता घोडि़आ में घोडिय़ा समाज के रीति - रिवाज, वैवाहिक पद्धति, त्योहार आदि के बारे में लोकगीतों का समावेश करते हुए विस्तार से उल्लेख किया गया है।


