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रायपुर, 7 सितंबर। एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल ने बताया कि एक 37 वर्षीय महिला को 10 साल पहले जन्मजात दिल की बीमारी (एबस्टीन एनोमली) के कारण एक जटिल सर्जरी (फॉन्टेन ऑपरेशन) से गुजरना पड़ा था। इस सर्जरी में उनके दिल को 4 चैम्बर वाले दिल से 2 चैम्बर वाले दिल में बदल दिया गया था, क्योंकि उनके दिल का दाहिनेतरफ का हिस्सा काम नहीं कर रहा था।
हॉस्पिटल ने बताया कि आमतौर पर गंदा खून दाईं तरफ के दिल में जाता है, लेकिन इस सर्जरी के बाद इसे सीधे फेफड़ों में भेजा जाता है (जैसे मछली के दिल में होता है)। फेफड़ों में साफ होने के बाद खून दिल के बाईं तरफ जाता है और फिर शरीर में पंप किया जाता है। हालांकि, सर्जरी के लगभग 8 साल बाद, उन्हें दिल की धडक़न में अनियमितता के कारण बेहोशी के दौरे आने लगे, जो इस तरह की सर्जरी के बाद लगभग 5 प्रतिशत मामलों में होता है।
हॉस्पिटल ने बताया कि अलग-अलग डॉक्टरों से परामर्श लेने के बाद, वे अगस्त 2024 में हमारे पास आए और हमारे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.किंजल बख्शी द्वारा जांच की गई। जांच में पाया गया कि उन्हें सिक साइनस सिंड्रोम है, जिसमें दिल की धडक़न 20 धडक़न प्रति मिनट से 140 धडक़न प्रति मिनट तक घटती-बढ़ती थी। इस तरह की समस्या का सबसे अच्छा उपचार पेसमेकर लगाना है।
हॉस्पिटल ने बताया कि इस महिला के मामले में, सुपीरियर वेना कावा पल्मोनरी आर्टरी(फेफड़ों की रक्त वाहिका) से जुड़ा था। हमारे अस्पताल में डॉ.सुमनता शेखर पांधी (क्लिनिकल लीड - कार्डियोलॉजी विभाग) और डॉ.किंजल बख्शी (सीनियर बाल रोग विशेषज्ञ) के नेतृत्व में एक नवीन दृष्टिकोण के साथ दिल के दाईं तरफ के छोटे से हिस्से तक पहुंचने और सफलतापूर्वक पेसमेकर लगाने में सफल रहे। इस प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग 5 घंटे लगे। प्रक्रिया के बाद उन्हें चौथे दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर श्री अजीत कुमार बेलमकोण्डा ने कार्डियोलॉजी विभाग को ऐसे जटिल प्रक्रिया की सफलता की अपार बधाई दी।