बिलासपुर
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जुलाई। हाईकोर्ट ने नर्स भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को याचिकाकर्ता से शपथ-पत्र में यह जवाब मांगा है कि आप किस अधिकार से जनहित याचिका दायर कर रहे हैं? इसका जवाब चार सप्ताह में देनी है। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
सन्नू डहरिया ने अधिवक्ता विजय के देशमुख के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया है कि कोरबा जिले के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत सीएमएचओ दफ्तर ने वर्ष 2015 से 2018 के बीच 154 रिक्त स्टाफ नर्स के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चलाया। इसमें स्थानीय अभ्यार्थियों को प्राथमिकता के साथ लिया जाना था। भर्ती का साफ नियम है कि पहले ट्रेंनिग होगी, फिर वरिष्ठता तय होगी।
याचिकाकर्ता भी कोरबा में ही सीनियर नर्स पदस्थ हैं। उनका आरोप है कि सीएमएचओ के तहत जो भी भर्ती की गई उसमें नियमों का पूरा पालन किए बिना बाहरी लोगों को ले लिया गया। स्थानीय ग्रामीण किशोरियों को ट्रेंनिग देने वाली याचिकाकर्ता ने आरटीआई के माध्यम से जो जानकारी निकाली उसमें पता चला कि इस भर्ती में व्यापक गड़बड़ी हुई है। चयन और नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं हुआ है। गरीब किशोरियों की ओर से अपना कदम उठाते हुए उन्होंने जनहित याचिका दायर की।
मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा व न्यायाधीश पीपी साहू की युगलपीठ में हो रही है। सुनवाई के दौरान पहले शासन से जवाब मांगा गया था, तब शासन ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाकर्ता को नौकरी के मामले में जनहित याचिका लगाने का हक नहीं है या नहीं। इसी मुद्दे पर याचिकाकर्ता से अदालत ने शपथ-पत्र में जवाब मांगा है। इसके लिए याचिकाकर्ता को 4 सप्ताह का समय दिया।