बिलासपुर

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 20 अगस्त। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के पचपेड़ी थाना क्षेत्र के जोंधरा गांव में एक 'हाउस चर्च' में प्रार्थना सभा के आयोजन को लेकर विवाद खड़ा हो गया। गांव के निवासी सुखनंदन लहरे के घर पर आयोजित इस सभा के बाद पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया।
जानकारी के अनुसार, सुखनंदन लहरे अपने घर पर एक प्रार्थना सभा का आयोजन कर रहा था। इसकी सूचना गांव वालों को मिली, उन्होंने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को सूचित किया। उन्होंने पचपेड़ी पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंचकर सुखनंदन को हिरासत में ले लिया। गिरफ्तारी की खबर फैलते ही लगभग 150 लोग थाने के बाहर जमा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। तनाव को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा, मस्तूरी एसडीओपी लालचंद मोहले, मस्तूरी थाना प्रभारी और मल्हार चौकी प्रभारी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।
इस मामले में नारायण पटेल नामक व्यक्ति का नाम सामने आया है, जो कथित तौर पर बजरंग दल से जुड़ा है। नारायण ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि सुखनंदन लहरे और उनके भाई रघुनंदन लहरे गांव में एक विशेष धर्म का प्रचार कर रहे थे और धार्मिक प्रलोभन देकर लोगों का धर्मांतरण करने की कोशिश कर रहे थे। नारायण के अनुसार, सभा में 30 से 40 लोग मौजूद थे, जो उस विशेष धर्म को मानते थे, और वहां बाइबिल तथा भोजन की व्यवस्था भी की गई थी। उन्होंने पुलिस से धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1968 और अन्य संबंधित धाराओं के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
मालूम हो कि हाल ही में रायपुर पुलिस और जिला प्रशासन ने ईसाई समुदाय के पुजारियों और प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। इस बैठक में प्रशासन ने निर्देश दिए थे कि अब से प्रार्थना सभाएं केवल अधिकृत धार्मिक स्थलों, यानी पंजीकृत चर्चों में ही आयोजित की जाएंगी। प्रशासन का कहना है कि घरों में चल रहे तथाकथित 'हाउस चर्चों' के नाम पर धर्मांतरण की गतिविधियां हो रही थीं, जिससे सामाजिक तनाव और संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही थी। प्रशासन ने इसे एक निवारक कदम बताया, ताकि अफवाहों और संघर्ष की स्थिति से बचा जा सके।
दूसरी ओर, बैठक के बाद ईसाई समुदाय ने प्रशासन के इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया था। उनका कहना है कि यह उनके धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। समुदाय के प्रतिनिधियों का तर्क है कि हाउस चर्च कोई नई परंपरा नहीं है; यह विश्व भर में एक सामान्य धार्मिक प्रथा है। उनका कहना है कि हर घर को प्रार्थना स्थल के रूप में उपयोग करना उनके धार्मिक विश्वास का हिस्सा है, और इस पर प्रतिबंध लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और सभी पक्षों से बात करने की बात कही है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सुखनंदन लहरे के खिलाफ किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।