बस्तर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 28 अप्रैल। सडक़ के बनने से ग्रामीणों मे काफ़ी उत्साह का माहौल है । साथ ही सडक़ निर्माण के दौरान सडक़ पर डायरेक्शन नोट्स भी लगाए जा रहे है, जिसमें पूरे क्षेत्र की जानकारी अंकित होगी। जिससे लोगो को नियत स्थान पर पहुंचने में आसानी होगी।
गांव की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति की कल्पना बिना अच्छी सडक़ों के करना संभव नहीं है। इसलिये आवश्यक है कि प्रत्येक गांव को बारामासी सडक़ों से जोड़ा जावे । अत: भारत सरकार द्वारा 25 दिसम्बर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना इस उददेश्य के साथ प्रारंभ की गई थी कि सामान्य क्षेत्रों में 500 या उससे अधिक आबादी की समस्त बिना जुड़ी हुई बसाहटों तथा आदिवासी क्षेत्रों एवं मार्च 2011 में भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार आई.ए.पी. जिलों में 250 या इससे अधिक आबादी की समस्त बिना जुड़ी बसाहटों को अच्छी बारहमासी सडक़ों से जोड़ा जाना है। ग्रामीण विकास विभाग भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा 9 अप्रैल 2014 को नक्सल प्रभावित 07 जिलों के 29 विकासखण्डों का चयन करते हुए इन विकासखण्डो में 100 से 249 जनसंख्या वाली बसाहटों को बारहमासी सडक़ों से जोडऩे हेतु स्वीकृति है।
इसी क्रम मे लालबाग गणपति रिसोर्ट होते हुए माड़पाल, उपनपाल से नगरनार कि रोड काफ़ी समय से जजऱ्र हो चुकी थी। जगह जगह रोड मे गड्डे बन चुके थे जिससे राहगीरों को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता था, कई बार सडक़ खऱाब होने कि वजह से दुर्घटना भी हुई है जिसमे कई लोगो कि जान भी जा चुकी है तो कई लोग बडी दुर्घटना से बाल-बाल बचे । बात करें मौसम कि तो बरसात, गर्मी व ठंड के मौसम में सडक़ के गड्डे व उड़ते धूल से राहगीरों को काफ़ी परेशानी होती थी।
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि जब से नगरनार मे एनएमडीसी प्लांट लगा है, तब से भारी वाहनों कि संख्या में बढोतरी हुई है। साथ ही निर्माण कार्य के लिए रेत,गिट्टी व इट का परिवहन किया जाता था। भारी वाहन कि आवाजाही से सडक़ खराब व जजऱ्र हो गई। जिससे ग्रामीणों को आने-जाने मे काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता था, साथ ही आए दिन वाहन चालकों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता था।
वहीं सडक़ निर्माण की जानकारी देते हुए विभागीय अधिकारी मोहन राव सोनी ने बताया की लालबाग चौक से नगरनार तक जिस सडक़ का निर्माण हुआ है। यह सडक़ 16 किलोमीटर की है। जिसका काम आज से 8 साल पहले प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत किया जा चुका था। लेकिन नगरनार प्लांट बनने की वजह से रेती, मिट्टी, गिट्टी आदि सामानों के परिवहन की वजह से सडक़ खराब हो गई थी और लगातार सडक़ को बनाने की मांग भी की जा रही थी। इस सडक़ के लिए डीएमएफटी फंड से एक करोड़ सत्रह लाख रुपए की स्वीकृति के बाद ठेकेदार के द्वारा काम पूरा कर लिया गया है। जिसमें 11 किलोमीटर का डामरीकरण का कार्य तथा जहां-जहां पर आवश्यकता पड़ी वहां पर पेच रिपेयरिंग का काम किया गया है साथ ही सडक़ निर्माण के दौरान सडक़ पर हम डायरेक्शन नोट्स भी लगा रहे हैं, जिसमें पूरे क्षेत्र की जानकारी अंकित होगी कि कितनी दूरी पर कौन सा गांव है। इसके फायदा यह होगा कि जो लोग इस क्षेत्र में नए है उन्हें नियत स्थान पर पहुंचने में सुविधा होगी।