बस्तर

तब तक मरीजों को लगानी है दौड़ जगदलपुर तक की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 9 अगस्त। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में एक बार फिर से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका कारण है कि मेकाज के लैब में विगत कई दिनों से किसी भी प्रकार से कोई टेस्ट नहीं हो रहा है, मरीजों को छोटी या बड़ी टेस्ट के लिए जगदलपुर तक का सफर तय करना पड़ रहा है, वहीं सबसे बड़ी बात तो यह है कि मेकाज में होने वाले थाइराइट टेस्ट भी साल भर से बंद पड़ा है, ऐसे में मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं जानकारी में इस बात का भी पता चला है कि सप्ताह भर तक इसे बनने में समय लग सकता है।
जानकारी में बताया गया है कि मेकाज में लाखों रुपये कीमत की कई टेस्ट मशीनों को मंगवाया गया था, इन टेस्ट मशीनों के माध्यम से कई टेस्ट तत्काल किया जाता था, लेकिन किडनी से लेकर दिल से संबंधित जो इलाज यहां किया जाता है, उसका तक इलाज यह पर बंद हो गया है, मरीजों के भर्ती होने के साथ ही जो टेस्ट सामान्य रूप से रोजाना किया जाता है उसका टेस्ट ना होना ग्रामीण क्षेत्रों से आये लोगो को काफी परेशानी में डाल रहा है। बस्तर संभाग के इस सबसे बड़े हॉस्पिटल में इन टेस्ट का ना होने मरीजों के साथ ही परिवार के लिए भी बड़ी परेशानी है, कई बार सैम्पल को भेजा जाता है तो कई बार मरीजों को भी ले जाना पड़ता है, ऐसे में अगर टेस्ट ही नहीं होगा तो मरीज अपना इलाज कैसे कराएंगे, वहीं मेकाज में खड़े होने वाले ऑटो चालकों के साथ ही प्राइवेट एम्बुलेंस चालक भी मनमाने दामों पर मरीजों को ले जा रहे हैं, मरीजों को फ्री इलाज के नाम पर चिकित्सक तो देख रहे हंै, पर टेस्ट के नाम पर हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि जिन मशीनों से इन टेस्टों को किया जाता है, कुछ दिन पहले ही रायपुर के इंजीनियरों ने इसे बनाकर वापस गए थे, लेकिन उनके जाने के 2 दिन बाद वापस शॉट सर्किट की वजह से खराब हो गया है, इसे बनाने के लिए फिर से आवेदन दिया गया है, लेकिन 5 दिन गुजरने के बाद भी अब तक कोई भी नहीं आ सका है। मरीजों के इलाज में उपयोग थाईराइट टेस्ट भी साल भर से बंद पड़ा है, जो मेकाज में 150 रुपये में होता है वो बाहर में 5 सौ रुपये से अधिक का खर्च देकर किया जा रहा है, ऐसे कई और भी अन्य टेस्ट है जो हजारों रुपये से शुरू होते है, लेकिन बस्तर के ग्रामीण अंचलों से आने वाले लोग इलाज के नाम पर ठगे जा रहे जा रहे हंै। चिकित्सक, स्टाफ नर्स जहाँ दिन-रात पूरी मेहनत से इनकी सेवा कर रहे है, वहीं टेस्ट के नाम पर इनके हजारों रुपये खर्च किया जा रहा है।
इस मामले में बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. अमर सिंह ठाकुर का कहना है कि मशीन को बनने में समय तो लगता है, इंजीनियर को जानकारी दिया गया है, एक सप्ताह भी लग सकने की बात कही जा रही है, मशीन तो मशीन है खराब होती है हमारे बस के बाहर है, अलग- अलग कंपनी के मशीन है जिसके लिए सूचना दिया गया है।