बलरामपुर

200 हेक्टेयर सिंचाई होती, ग्रामीण ठगा महसूस कर रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज, 30 मार्च। जल संसाधन विभाग संभाग क्रमांक 2 के द्वारा किस प्रकार से शासन की योजनाओं का बंटाधार किया जा रहा है, यह धरमी जलाशय को देखकर समझा जा सकता है। धरमी जलाशय के लिए शासन ने 2 करोड़ 79 लाख रुपये प्रशासकीय स्वीकृति दी थी, परंतु इसमें खर्च 4 करोड़ 32 लाख रुपए खर्च कर दिए गए, परंतु हैरान कर देना वाली बात यह है कि आज तक बांध में गेट तक नहीं लग सका है।
यदि समय पर बांध एवं नहर का कार्य पूर्ण हो जाता तो 200 हेक्टेयर सिंचित होती, परंतु धरमी जलाशय योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, परंतु न आज तक इसकी जांच हुई न दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई, जिस कारण शासन की योजनाएं इसी प्रकार से धरातल में दम तोड़ रही हैं।
जल संसाधन संभाग क्रमांक 2 के द्वारा धरमी जलाशय में अर्थ वर्क बण्ड नाला क्लोजर, 0 मीटर से 250 मीटर बोल्डर टू पीचिंग, 1 बेस्ट बियर,फ्लश वार 2 नग,सूलुस वेल,कैनाल का कार्य किया जाना था उक्त कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति 9 मई 2015 को मिली थी वही वर्क आर्डर 29.8.2016 को हुआ था। जिस कार्य को 6 माह में पूर्ण हो जाना चाहिए था वह कार्य 5 वर्ष के बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है, जिससे किसान आज ठगा महसूस कर रहे हैं। धरमी जलाशय के लिए दो करोड़ 79 लाख रुपय अनुबंध हुआ था उस कार्य में चार करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च कर दिए गए परंतु आज तक धरमी जलाशय योजना पूर्ण नहीं हो सका है।
निर्माण भी क्षतिग्रस्त होने लगा
धरमी जलाशय योजना के लिए कंक्रीट का भी कार्य किया गया था परंतु कार्य इतना गुणवत्ता विहीन था कि 4 वर्षों में अब वह भी टूटने लगा है स्थिति यह है कि ग्रामीणों को आज तक ना इसका लाभ मिला न योजना पूर्ण हो सकी।
न जांच, न कार्रवाई
जल संसाधन विभाग पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे एवं भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित भी हैं, परंतु आज तक विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई, जिस कारण इनके हौसले बुलंद हैं। जल संसाधन विभाग के ही अधिकारी के द्वारा विभाग के कार्यपालन अभियंता एवं अन्य के विरुद्ध धारा 420 का मामला दर्ज कराया था जो रामानुजगंज थाने में आज भी लंबित।
इस संबंध में मुख्य अभियंता ओतिमा उइके हसदेव गंगा कछार ने कहा कि कार्यपालन अभियंता से रिपोर्ट लेती हूं कि अब तक योजना पूर्ण क्यों नहीं हो सकी है।