बलौदा बाजार

सुहेला तहसील में सबसे ज्यादा 307 मिमी, कसडोल में सबसे कम 190 मिमी बारिश दर्ज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 8 जुलाई। बलौदाबाजार जिले में बीते एक हफ्ते से सक्रिय मानसून के चलते लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। इसके चलते जिले के अधिकांश जलाशयों में पानी की जबरदस्त आवक हुई है और 26 में से 13 बांध समय से पहले ही छलक गए हैं। मई के अंत तक जिले के अधिकांश जलाशयों में बूंद भर पानी नहीं था लेकिन जुलाई के पहले हफ्ते में जोरदार बारिश ने स्थिति को पूरी तरह पलट दिया।
1 जुलाई से अब तक जिले में 26 जलाशयों में से 13 में 100 फीसदी जल भराव हो चुका हैं, जिनमें लवन बालसमंद देवरीडीह जैसे प्रमुख जलाशय शामिल हैं। आधे से ज्यादा जलाशयों में पानी की आवक अब भी तेज बनी हुई है, वहीं कुछ जलाशयों की स्थिति अभी भी चिंताजनक हैं। भरतपुर, तेलासी, कामता, झरिया और हरिनभ_ा जैसे जलाशयों में अभी भी जल स्तर शून्य पर हैं। आंकड़ों में देखे तो जिले के जलाशयों की स्थिति
लवन जलाशय 0.046 मि.घ.मी. 2 फीसदी क्षमता 0.251 मि.घ.मी. बलौदाबाजार उपलब्ध जल 0.251 जलाशय 1. 314 में मि.घ.मी. 100 फीसदी 0.452 मि.घ.मी. बालसमंद 34 फीसदी क्षमता 0.838 मि.घ.मी. देवरीडी देवरीडीह जल 0.600 मि.घ.मी. - 1.409 मे 0.810 72 फीसदी मि.घ.मी. 57 फीसदी कुकुर दी जलाशय 2.477 मि.घ.मी. में मात्र झरिया जलाशय 0.700 में 0 फीसदी
विकासखंडों में बारिश की स्थिति
1 जून से 7 जुलाई तक जिले में औसतन 259 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई हैं। सबसे अधिक बारिश सुहेला तहसील में 307.4 मिलीमीटर तो सबसे कम कसडोल में 190 मिली मीटर रिकॉर्ड हुई हैं। अन्य प्रमुख स्थानों पर भी अच्छी बारिश हुई है टुद्रा 288.5 मिली मीटर बलौदाबाजार 27 1.02 मिलीमीटर पलारी 258.5 मिली मीटर सिमगा 257.6 मिली मीटर भाटापारा 253.6 मिली मीटर लवन 252.6 मिली मीटर सोनाखान 252.1 मिमी. वर्षा दर्ज।
अगले हफ्ते बारिश होगी
मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर एमपी थॉमस ने बताया कि उत्तर पूर्व छत्तीसगढ़ में मानसून की सक्रियता बनी हुई हैं। इस क्षेत्र में अगले एक हफ्ता तक बारिश की अच्छी संभावना हैं। उन्होंने बताया कि कहीं बारिश तो कहीं मध्यम वर्षा का अनुमान है जिससे जलाशयों में और पानी भरने की संभावना हैं।
किसी भू विज्ञान विशेषज्ञ पुपेंद्र दिनकर का कहना है कि एक और जहां जिले को जल संकट से राहत मिली है वहीं किसानों को क्षति का सामना करना पड़ रहा हैं। जिले के जलाशयों की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है, लेकिन कृषि क्षेत्र में हुए नुकसान की भरपाई अभी एक और चुनौती बनी हुई हैं। मानसून की रफ्तार अगर ऐसी की बनी रही तो आने वाले दिनों में और भी जलाशय छलक सकते हैं।