बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 21 अक्टूबर । बच्चों के भविष्य संवारने छत्तीसगढ़ सरकार के बढिय़ा और छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में बृहद पैमाने पर स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल संचालित कर संवेदनशीलता के साथ अपनी जिम्मेदारी निर्वहन कर बच्चों और अभिभावकों को एक बड़ी सौगात के साथ राहत प्रदान की है, अपने आकस्मिक प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. के के नायक ने भरूवाडीह के पास वर्षों से उपेक्षित खैरवारडीह वन के निरीक्षण के दौरान कही।
उन्होंने आगे कहा कि अभिभावक अब सरकारी स्कूलों पर अंगुली उठाने के बजाय पुरी निष्ठा से प्राईवेट स्कूल की तरह समय का ध्यान रखते हुए अपनी जिम्मेदारी इस तरह निभायें कि वे अपने बच्चों को स्कूल पहूंचाने और स्कूल से घर लाने जाएं या फिर समुचित प्रबंध करें, स्कूल का मिला गृह कार्य करवायें,स्कूल में सिखाये गये कार्य को दोहरवांये,इससे उसके पढ़ाई के संसाधनों जैसे कलम,सिस,पेंसिल, कम्पपास कापी और किताबों की जानकारी तथा उसके पढ़ाई के प्रोग्रेस रिपोर्ट स्वप्रमाणित आपको मिलते रहेंगे, जिससे सतर्कतापूर्ण ढंग से प्राईवेट स्कूल में दाखिल बच्चों के अभिभावकों की तरह बच्चे से पहले उठकर उसके नास्ता और बस्ता को ब्यवस्थित करें,समय पर स्कूल पहुंचायें भले ही अपने कार्य में लेट हो जाएं, स्कूल से आते ही गृह कार्य करवायें, उनके प्रत्येक छोटी-छोटी चीजों की चिंता करें।
चूकि यह सत्य है सरकारी विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षक,ह्लद्गह्ल /ष्ह्लद्गह्ल / शिक्षकपात्रता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षा शास्त्र की जानकारी रखने वाले योग्य शिक्षक/शिक्षिकायें होते हैं।
विपरित प्राईवेट स्कूलों में प्रशिक्षित दक्षता उत्तीर्ण एवं शिक्षा शास्त्र के जानकारी रखने वाले शिक्षक/शिक्षिकायें नहीं होते। फिर भी अंगुली सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर ही उठाते हैं। किन्तु विद्यालयों में प्रतिदिन 200 से 1000 बच्चों को पढ़ाने के अलावा भोजन भी कराया जाता है।
कहीं संभव है ? इसके उपरांत समय-समय पर विद्यालय के आधे शिक्षक तो सरकार के लिए आंकड़े जुटाने में लगे रहते हैं,फिर भी सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है,और लक्ष्य तक नहीं पहुंचने या विरोध करने पर बलि का बकरा शिक्षकों को ही बना दिया जाता है। उपरोक्त तथ्यों पर गौर करते हुए बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अभिभावकों और समाज को यह चिंतन करने की आवश्यकता है, कि विद्यालय हमारे समाज के अंदर है या बाहर ? विद्यालय में बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण करने हेेेतू विद्यालय के उत्कृष्टतापूर्ण विकास में हम सबको भागीदार बनने की आवश्यकता है।