बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 4 जून । अंंबुजा सीमेंट संयंत्र रवान के ग्राम पंचायत करमनडीह मल्दी माइंस के गेट के सामने करीब 100 ग्रामीण नौकरी की एक सूत्रीय मांग को लेकर 1 जून से टेंट लगाकर लगातार मौन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। यह संयंत्र का गोदग्राम है। आरोप है कि 15 वर्ष पूर्व ग्रामीणों को निजी सीमेंट कंपनी द्वारा दलालों के माध्यम से प्रलोभन देकर कम कीमत पर भोले भाले ग्रामीणों से उनकी कृषि भूमि खरीदी थी और रोजगार देने का वादा किया था पर कंपनी से लगातार वादे से मुकर रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि आज तक एक भी कृषक को संयंत्र में नौकरी नहीं दी गई, जिससे अधिकांश ग्रामीण पलायन करने विवश हैं। मामले में अंबुजा सीमेंट संयंत्र प्रबंधन अजय सिंह रखवाल का कहना है कि ग्रामीणों से बात चल रही है। उनकी मांगों का संज्ञान लिया जा रहा है।
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि जब तक हमारी रोजगार की मांग पूरी नहीं होगी तब तक प्रदर्शन करते रहेंगे। ग्रामीणों आगे कहा कि अगर संयंत्र द्वारा हमारी जायज रोजगार की मांग नहीं मानी तो जिस दिन सीएम भूपेश बघेल जिले में आएंगे उनके समक्ष अपनी पीड़ा रखेंगे।
गोदग्राम के ग्रामीण यहां 1 जून से रोजगार की मांग को लेकर मौन हड़ताल पर बैठे हैं पर कोतवाली पुलिस के अलावा प्रशासन के उच्चाधिकारी या संयंत्र प्रबंधन की ओर से कोई नहीं आया है।
ब्लास्ट के पत्थर घरों में गिर रहे
ग्रामीण मोहन खुटे ने कहा कि हमारी जीविकोपार्जन कृषि भूमि जो लगभग 500 एकड़ है, को अंबुजा संयंत्र के दलालों के माध्यम से प्रलोभन देकर 15 वर्ष पूर्व कम कीमत पर खरीद ली गई। आज गांव में किसी प्रकार के रोजगार के साधन नहीं हैं जिससे ग्राम की 85 प्रतिशत जनता पलायन कर कमाने-खाने के लिए अन्य प्रांतों में जाने को विवश है। इसके चलते उनके बच्चों को सही शिक्षा भी नहीं मिल पा रही हैं। द्वारिका प्रसाद बंजारे ग्रामीण ने कहा कि प्रशासन को अंधेरे में रखकर संयंत्र निर्धारित मानकों से अधिक हैवी ब्लास्ट कर रहा है जिससे गांव के प्राथमिक स्कूल सहित अनेक ग्रामीणों के घरों में दरारें आ रही हैं। गांव के राजेश धृतलहरे ने बताया कि गांव का भूजल स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है जिसका पूरा जिम्मेदार अंबुजा सीमेंट संयंत्र है। संयंत्र की माइंस गांव से महज 200 मीटर दूर है जिसके ब्लास्ट से पत्थर गांव के घरों में आकर गिरते हैं।
करमनडीह के उपसरपंच दिलीप खुटे ने बताया कि शुक्रवार को तहसील कार्यालय में संयंत्र प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच रोजगार के मुद्दे पर चर्चा हुई लेकिन संयंत्र अपने वायदे से मुकर गया जबकि 15 वर्ष पूर्व जमीन खरीदते वक्त एक एकड़ के पीछे खातेदार के एक सदस्य को नौकरी देने का मौखिक रूप से समझौता हुआ था।