बलौदा बाजार

2 साल के बाद लौटे स्कूल, बच्चों में लिखने की आदत छूट गई, पटरी में लाने की कोशिश
04-Oct-2021 6:30 PM
2 साल के बाद लौटे स्कूल, बच्चों में लिखने की आदत छूट गई, पटरी में लाने की कोशिश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार , 4 अक्टूबर।
शिक्षकों की चिंता यह है कि 16 माह से पटरी से उतरी शिक्षा की गाड़ी को वापस कैसे पटरी पर लाया जाए। बच्चों का लर्निंग केवल काफी घटा है। 
क्लास रूम में ज्यादा देर बैठने पर कमर दर्द करने लगती है ऑनलाइन पढ़ाई के कारण लिखने की आदत छूट गई है थोड़ा सा लिखते ही अंगुली दर्द करने लगती है काफी बच्चे ऐसे हैं, जो कभी भी स्कूल आने के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं है लिखने की आदत छूट गई है। पुराना सिलेबस भूल गए हैं। डीओसीएस जरूर बताते हैं कि बच्चे के लर्निंग केवल ही स्थिति यह है कि क्लास तीसरी के बच्चे को भी पहली क्लास की तरह वर्णमाला एक लानी पड़ रही है। 
तीसरी के बच्चों की 10 तक पहाड़ा आना चाहिए लेकिन नहीं आ रहा है। अक्षरों को जोडक़र शब्द बनाना आना चाहिए शब्दों को वाक्य बनाना रहता है। पहली क्लास से मैं तीसरी क्लास में बिना एग्जाम के ही प्रमोट किया गया था। 16 महीने घर में बैठने के बाद वह आशा जैसे सर्ज्ञान भी भूल गए हैं। अब उन्हें पाठ और लेशन पढ़ाने में शिक्षकों की काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

शिक्षक सिर्फ परीक्षा लेते रहेंगे तो पढ़ आएंगे कब 
अब शिक्षकों के लिए अब पढ़ाई को फिर से पुराने ढंग पर लाना बड़ी चुनौती है। ऐसे में उन्हें दो बार बेसलाइन आकलन परीक्षा लेनी पड़ी है शिक्षकों का कहना है कि परीक्षाएं ही लेते रहेंगे, तो परीक्षाएं कब परीक्षाओं के अलावा भी हमें छात्रवृत्ति एंट्री जाति निवास एंट्री मध्यान भोजन की ऑनलाइन पढ़ाई की जानकारी सूखा राशन वितरण गणवेश वितरण पुस्तक वितरण साईकिल वितरण बच्चों की स्थापना की जानकारी आधार कार्ड की जानकारी बैंक डिटेल की जानकारी शाखा यू डाइस डाटा सहित अनगिनत ऑनलाइन कार्य करने पड़ रहे हैं।

करोना कॉल में 70-80 परसेंट रिजल्ट कैसे शिक्षक विभाग ने खारिज किया 
आगे पाठ पीछे सपाट वाली कहावत स्कूलों में चरितार्थ हो रही है। कोरोनाकाल के बाद स्कूल लौटे बच्चे पुराना सब कुछ भूल गए हैं। उन्हें क्या याद है क्या भूले हैं। इसके आकलन के लिए शिक्षा विभाग ने 1 मह पहले ही प्राइमरी और मिडिल कक्षाओं की बेसलाइन परीक्षा ली थी मगर यह परीक्षा दोबारा लेनी पड़ी।

इसका कारण पिछले माह हुई परीक्षा में प्रश्न पत्र एससीईआरटी द्वारा तैयार किया गया था और बच्चे की उत्तर पुस्तिका जांचने के बाद उनके अंक ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज किया गया था सभी कक्षाओं के शिक्षकों ने खुद ही बच्चों की कॉपियां जांची और अपनी कक्षाओं का प्रदर्शन अच्छा दिखाने के लिए पोर्टल में बच्चों के नंबर काफी ज्यादा बढ़ा कर भर दिए किसी का 70 प्रतिशत तो किसी का 80 प्रतिशत ऐसे रिजल्ट को शिक्षा विभाग ने उच्च अधिकारियों ने यह कह कर खारिज कर दिया कि आखिर कोरोनाकाल की लंबी अवधि के बाद लौटे बच्चों के इतने ज्यादा अंक कैसे आ सकते हैं।

शिक्षक बन गए बाबू 
शिक्षा का मूल काम बच्चों को पढ़ाना होता है लेकिन यह भी ऐसा दिन नहीं होगा जिस दिन शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा अन्य कार्य नहीं करने पड़ते हैं। शिक्षक उत्तम बघेल सीमा वर्मा नोमिन चंद्राकर का कहना है कि हमारे अचानक कोई भी जानकारी मांग ली जाती है। कार्यवाही के डर से पढऩा छोड़ जानकारी झूठ आते हैं। इस तरह से शिक्षक कम बाबू ज्यादा बन गए हैं।

अब दूसरों स्कूल के शिक्षक जांंचेंगे कॉपियां 
शासकीय स्कूलों में बेसलाइन की परीक्षा दोबारा हुई बच्चों को इस बार अपनी कॉपी के अलग से पन्ने में सवाल हल कराया गया। यह निर्देश भी जारी किया गया है की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन संकुलन स्तर पर होगा। जिस स्कूल में बच्चे पढ़ रहे हैं अब उनके शिक्षक नहीं दूसरे स्कूल के शिक्षक मूल्यांकन करेंगे।
 


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